बाबूलाल मरांडी ने इस मुद्दे को सोशल मीडिया पर उठाया है।
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट में लिखा, हेमंत सरकार पिछले पांच वर्षों में आपदा प्रबंधन विभाग के 1,300 करोड़ रुपए के फंड का हिसाब देने में नाकाम साबित हो रही है। सवाल यह है कि यह राशि आखिर कहां गई? क्या विभागों ने इसे अन्य कार्यों में खर्च कर दिया या फिर किसी बड़े घोटाले को अंजाम दिया गया?
पूर्व मुख्यमंत्री एवं भाजपा नेता ने कहा, एक तरफ वित्त मंत्री राज्य के राजस्व को बढ़ाने के लिए महुआ शराब बनाने के प्लांट लगाने का बेतुका प्रस्ताव रखते हैं, तो दूसरी तरफ सरकार खजाने से खर्च किए गए हजारों करोड़ रुपए का हिसाब देने में असमर्थ नजर आ रही है।
उन्होंने कहा, यदि इसी तरह अनियमितता और वित्तीय लापरवाही का दौर जारी रहा, तो झारखंड को गंभीर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ सकता है। सरकार को हर खर्च का ब्योरा जनता के सामने रखना होगा, क्योंकि यह जनता की गाढ़ी कमाई का सवाल है। पाई-पाई का हिसाब चाहिए।
उल्लेखनीय है कि झारखंड सरकार के आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव ने हाल में राज्य के विभिन्न विभागों को पत्र लिखकर आपदा प्रबंधन के मद में आवंटित राशि का ब्योरा देने को कहा है।
पत्र में कहा गया है कि कई विभागों ने खर्च की रिपोर्ट नहीं दी है। इस वजह से भारत सरकार के नेशनल डिजास्टर इन्फॉर्मेशन सिस्टम (एनडीएमआईएस) के पोर्टल पर इससे संबंधित सूचनाएं अपडेट नहीं की जा सकी हैं। ऐसी स्थिति में राज्य को केंद्र से आगे इस मद में फंड मिलने में कठिनाई हो सकती है।