लखनऊ : शिक्षा में सुधार की जिम्मेदारी जिनके कंधों पर डाली गयी है, वे स्वयं ही अभावों में हैं। उनके पास न तो कोई अधिकार हैं, ना कार्यालय स्टाफ। यहां तक कि वाहन भी नहीं है और उन्हें यात्रा भत्ता भी नहीं मिलता। लेकिन फिर भी ऊंच-नीच होने पर सारा ठीकरा इन्हीं के सिर फोड़ा जाता है। यह हाल किसी और का नहीं बल्कि खण्ड शिक्षा अधिकारियों का है। ऊपर से बीती 12 अक्टूबर को जारी शासनादेश में सारी खामियों के लिए इन्हीं शिक्षाधिकारियों को दोषी ठहराया गया है। शासन के इस रवैये को लेकर खण्ड शिक्षाधिकारियों में खासा रोश है। उक्त शासनादेस के खिलाफ अब शिक्षाधिकारी एकजुट होने लगे हैं। रविवार को करीब 200 से अधिक खण्ड शिक्षाधिकारियों ने उत्तर प्रदेशीय विद्यालय निरीक्षक संघ के बैनर तले यहां बैठक की।
बैठक में जारी शासनादेश का पुरजोर विरोध करते हुए अब इसके खिलाफ आगामी 22 नवम्बर को जिला मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन कर जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपने का निर्णय लिया। उसके बाद 30 नवम्बर को शिक्षा निदेशालय से शासन तक विरोध मार्च निकालने पर भी सहमति बनी। इसके अलावा बैठक में संघ के निर्वाचन एवं नवीन कार्यकारिण के चुनाव की मांग की गयी। बैठक को प्रमेन्द्र शुक्ल, आरपी सिंह, दिनेश कुमार मौर्य, पुष्पेन्द्र जैन, माधव राज त्रिपाठी, संजय शुक्ला, सोमनाथ यादव, प्रभाश कुमार श्रीवास्तव, वरुण मिश्रा, प्रभात कनौजिया, राजेष यादव, अविनाष दीक्षित, वीरेन्द्र कनौजिया, उपेन्द्र त्रिपाठी, जैनेन्द्र गुप्ता आदि ने भी सम्बोधित किया।