सीएसआईआर-आईआईटीआर के सेमिनार में हुआ विचार विमर्श
लखनऊ। क्या आप जो भोजन खाते हैं, वह सुरक्षित है ? क्या आप जो भोजन करते हैं, वह आपको आवश्यक कैलोरी देता है? पैक भोजन में जितनी पौष्टिकता का दावा किया जाता है, वह वास्तव में उतना पौष्टिक होता है? ये कुछ ऐसे विषय हैं, जिन पर, सी.एस.आई.आर.-भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान (सी.एस.आई.आर.-आई.आई.टी.आर.),लखनऊ में हो रहे दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय विषविज्ञान सम्मेलन (फ़ोर्थ इन्टरनेशनल टॉक्सिकोलोजी कांक्लेव 2018 में गहन विचार-विमर्श किया गय। खाद्य एवं उपभोक्ता सुरक्षा सत्र प्रारंभ होते ही निदेशक, सीएसआईआर-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टॉक्सिकोलॉजी रिसर्च प्रोफेसर आलोक धावन ने कहा कि वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के अधीन अनेक संस्थान इस विषय पर कार्य कर रहे हैं। भोज्य पदार्थों में अपमिश्रकों, प्रदूषकों, खराब गुणवत्ता, खराब होने आदि का पता लगाने के लिए खाद्य सामग्री के परीक्षण हेतु अनेक किट उपकरण विकसित किए गए हैं।
इससे पूर्व, सम्मेलन के पहले दिन, सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए डॉ. अनिल के. त्रिपाठी, निदेशक, सीएसआईआर – केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान, लखनऊ ने कहा कि वैज्ञानिक समुदाय हेतु यह आवश्यक है कि परंपरागत चिकित्सा प्रणालियों की प्राचीन कार्य प्रणाली को वैज्ञानिक रूप से मान्यता प्रदान करें । जबकि आयुष प्रणाली ने औषधियों के वांछित परिणाम प्राप्त किए हैं, विज्ञान की वैश्विक मानक बढ़ोतरी व्यापक साक्ष्य आधारित सुरक्षा मूल्यांकन की मांग करती है। प्रोफेसर आलोक धावन, निदेशक, सी.एस.आई.आर.- भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान (सी.एस.आई.आर.-आई.आई.टी.आर.),लखनऊ ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में मानव उपयोग हेतु सुरक्षित उपकरणों तथा उत्पादों को सुनिश्चित करने में विषविज्ञान एवं सुरक्षा परीक्षण की प्रासंगिकता को दोहराया। डॉ. पूनम कक्कड़, मुख्य वैज्ञानिक, सीएसआईआर – भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान एवं अध्यक्ष, आयोजन समिति, आईटीसी-2018 ने सभी का स्वागत किया।