भारत में आईफोन निर्माण पर चीन की नजर
फॉक्सकॉन, एपल के लिए आईफोन का निर्माण करती है और भारत में इसका प्रमुख संयंत्र है. विशेषज्ञों का मानना है कि चीन को यह बात चौंका रही है कि भारत में एपल और उसके साझेदार कितनी तेजी से आईफोन उत्पादन बढ़ा रहे हैं.
2017 में भारत में आईफोन निर्माण की शुरुआत हुई थी, जब एपल ने ताइवान की विनिर्माण कंपनी विस्ट्रॉन के माध्यम से पुराने मॉडल असेंबल करना शुरू किया. लेकिन जल्द ही एपल ने चीन से अपना उत्पादन भारत शिफ्ट करना शुरू कर दिया.
2022 तक भारत में 1.5 करोड़ आईफोन असेंबल किए गए थे, और 2024 में यह आंकड़ा भारत में बने आईफोन्स के 14% तक पहुंच गया. वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने हाल ही में कहा कि जल्द ही 25% आईफोन भारत में बन सकते हैं.
चीन का आर्थिक डर
विशेषज्ञ बताते हैं कि चीन की अर्थव्यवस्था हाल के वर्षों में धीमी हुई है, और राजनीतिक प्रतिबंधों के कारण कई विदेशी और चीनी कंपनियां वैकल्पिक बाजारों की तलाश में हैं. भारत इस बदलाव का सबसे बड़ा लाभार्थी बनकर उभरा है.
कोविड-19 महामारी के दौरान चीन की सख्त नीतियों ने एपल के उत्पादन और बिक्री पर नकारात्मक प्रभाव डाला. साथ ही, अमेरिका-चीन के बीच बढ़ते तनाव ने भी एपल को चीन से उत्पादन शिफ्ट करने के लिए प्रेरित किया.
भारत की प्रगति रोकने की साजिश
रिपोर्ट के अनुसार, चीन भारत में आईफोन उत्पादन की रफ्तार को धीमा करना चाहता है. इसके लिए उसने भारत को महत्वपूर्ण तकनीकी उपकरणों की आपूर्ति रोक दी है. रेस्ट ऑफ वर्ल्ड को एक सूत्र ने बताया की भारत के पास ऐसे उपकरण बनाने की तकनीक नहीं है. लंबे समय से चीन की रणनीति भारत के आर्थिक विकास को धीमा करने की रही है. कभी बॉर्डर पर तनाव तो कभी अर्थव्यवस्था में, चीन की इन्हीं साजिशों का अहम हिस्सा है.
चुकी भारत अपनी मेक इन इंडिया नीति के तहत आत्मनिर्भर बनने की दिशा में तेजी से काम कर रहा है इसलिए चीन की बेचैनी और बढ़ गई है. चीन के इस साजिश को इसी कड़ी में जोड़कर देखा जा सकता है.