साल 2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी ने जीत दर्ज की थी। रामवीर सिंह बिधूड़ी ने यहां पर कमल खिलाया था। महज कुछ वोटों से आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी यहां चुनाव नहीं जीत पाए।
2015 में इस सीट पर आम आदमी पार्टी ने चुनाव जीता था। आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी नारायण दत्त शर्मा ने भाजपा के प्रत्याशी और कांग्रेस के प्रत्याशी को पटखनी दी थी।
2013 में भाजपा के प्रत्याशी रामवीर सिंह बिधूड़ी ने जीत हासिल की। तो वहीं साल 2008 में बसपा के प्रत्याशी राम सिंह नेताजी ने जीत हासिल की थी।
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में इस बार भाजपा ने पूर्व विधायक नारायण दत्त शर्मा को टिकट दिया है। वहीं, आम आदमी पार्टी ने पूर्व विधायक रामसिंह नेताजी को टिकट दिया है। कांग्रेस की ओर से प्रत्याशी का ऐलान होना अभी बाकी है।
इस सीट पर आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी राम सिंह नेताजी ने आईएएनएस से कहा, पिछली बार महज कुछ वोटों से जीत नहीं मिल पाई थी। इसकी टीस यहां की जनता में भी है। पिछली हार की कसर इस बार जनता पूरी करेगी। इस बार इस विधानसभा सीट पर झाड़ू चलेगी।
भाजपा प्रत्याशी नारायण दत्त शर्मा ने कहा, दिल्ली की जनता आम आदमी पार्टी की झूठी योजनाओं से परेशान हो चुकी है। अगर दिल्ली की जनता को वास्तविक विकास चाहिए, तो भाजपा का नेतृत्व ही सही विकल्प है। आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी सिर्फ झूठे प्रचार में लगे हुए हैं, जिन्हें जनता नकार चुकी है। अब दिल्ली के लोग जान चुके हैं कि केजरीवाल सरकार सिर्फ प्रचार में उलझी हुई है और उनकी योजनाओं का कोई ठोस परिणाम नहीं है।
इस विधानसभा में जलभराव की समस्या गंभीर है। टंकी रोड, स्कूल रोड, जैतपुर, मीठापुर में ट्रैफिक जाम की समस्या से आए दिन लोगों को जूझना पड़ता है। यहां सरकारी अस्पताल नहीं है। बच्चों और बुजुर्गों के लिए पार्क नहीं है।
चुनाव आयोग के डाटा अनुसार, बदरपुर विधानसभा क्षेत्र में 1, 91, 634 पुरुष मतदाता हैं। महिला मतदाता 1,46,740 मतदाता हैं। थर्ड जेंडर वोटर्स की संख्या 51 है। कुल मतदाता 3,38, 425 हैं।
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 का बिगुल बज चुका है। 5 फरवरी को एक चरण में वोटिंग होगी। चुनाव आयोग के मुताबिक दिल्ली में कुल 83,49,645 पुरुष, 71,73,952 महिला और 1,261 थर्ड जेंडर को मिलाकर कुल 1.55 करोड़ मतदाता हैं। 8 फरवरी को चुनाव परिणाम घोषित किया जाएगा। चुनाव की तारीख की घोषणा के साथ ही दिल्ली में चुनाव आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है, जिसके तहत सरकारी संसाधनों का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए नहीं किया जा सकता और चुनावी रैलियों के लिए पुलिस की अनुमति अनिवार्य है।