एनआईए ने झारखंड में नक्सलियों के ठिकानों पर मारे छापे, कई सामग्री जब्त

रांची। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले में नौ स्थानों पर तलाशी अभियान चलाया। यह कार्रवाई सीपीआई (माओवादी) से जुड़ी एक जांच के तहत की गई, जिसमें संदिग्ध आतंकवादियों और ओवर ग्राउंड वर्कर (ओजीडब्ल्यू) के ठिकानों पर छापे मारे गए।

तलाशी के दौरान एनआईए टीमों ने कई आपत्तिजनक सामग्री जब्त की, जिनमें मोबाइल फोन, मेमोरी कार्ड, सिम कार्ड और अन्य सामग्री शामिल हैं। इसके अलावा, एक 20-लीटर प्लास्टिक केन में 10,50,000 रुपये नकद, एक वॉकी-टॉकी, सैमसंग टैबलेट, पावर बैंक, रेडियो सेट, लेवी वसूली रसीद, जिलेटिन की छड़ें और अन्य संदिग्ध सामान भी बरामद किए गए।

यह कार्रवाई एक आरोपी, राजेश देवगम के बयान के बाद की गई, जिसने बताया कि इन सामग्रियों को हुसिपी और राजभासा गांवों के बीच के जंगलों में छिपाया गया था।

ह मामला मूल रूप से मार्च 2024 में झारखंड के चाईबासा जिले के टोंटो पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया था और बाद में इस मामले की जांच एनआईए को सौंप दी गई।

एनआईए की जांच में पता चला कि संदिग्ध और ओजीडब्ल्यू सीपीआई (माओवादी) के वरिष्ठ कैडरों की मदद से उनकी गैरकानूनी गतिविधियों को बढ़ावा दे रहे थे। इस सिलसिले में एनआईए ने रविवार को इन संदिग्धों के परिसरों पर छापेमारी की।

इसके अलावा, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने दक्षिणी दिल्ली के जामिया नगर में एक आरोपी के घर पर भी छापा मारा, जहां से उन्होंने कई डिजिटल डिवाइस (मोबाइल फोन और टैबलेट) और वित्तीय दस्तावेज, जैसे बैंकों के डेबिट कार्ड, पासबुक और चेकबुक मिले।

इस मामले में मुख्य आरोपी कामरान हैदर और उसके साथियों पर भारतीय युवाओं को लाओ पीडीआर इलाके में भेजने की साजिश का आरोप है।

यहां मानव तस्करी और साइबर गुलामी के शिकार लोगों को यूरोपीय और अमेरिकी नागरिकों को निशाना बनाकर साइबर घोटाले करने के लिए मजबूर किया जाता था। जांच में यह भी सामने आया है कि कामरान हैदर चीनी घोटालेबाजों से बचने की कोशिश कर रहे पीड़ितों से क्रिप्टो करेंसी वॉलेट के जरिए पैसे निकालने में भी शामिल था। एनआईए इस मामले में आगे की जांच कर रही है।

 

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