बता दें पिछले दिनों कम समय पहले सैन्य अदालतों ने 2023 के 9 मई के हिंसक विरोध प्रदर्शनों में शामिल कुल 85 नागरिकों को सजा सुनाई थी। विरोध प्रदर्शन पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी के खिलाफ किए गए थे।
21 दिसंबर को, आईएसपीआर ने जानकारी दी थी कि 9 मई की घटनाओं के लिए सैन्य अदालतों ने 25 नागरिकों को जेल की सजा सुनाई। एक सप्ताह बाद, अन्य 60 नागरिकों को राष्ट्रव्यापी दंगों में शामिल होने के लिए दो से 10 साल तक की जेल की सजा सुनाई गई।
संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और यूरोपीय संघ ने हाल ही में पाकिस्तान की सैन्य अदालतों की ओर से 25 नागरिकों को सजा सुनाए जाने की आलोचना की थी।
बयान में कहा गया, 9 मई की त्रासदी के दोषियों को सजा सुनाए जाने के बाद, उन्होंने अपील करने के अपने अधिकार का इस्तेमाल किया और अपनी सजा में दया/छूट की मांग की।
बयान के मुताबिक, कुल 67 दोषियों ने अपनी दया याचिकाएं दीं। 48 याचिकाओं पर अपील न्यायालयों में कार्रवाई की गई, जबकि 19 दोषियों की याचिकाओं को कानून के तहत विशुद्ध रूप से मानवीय आधार पर स्वीकार किया गया है। औपचारिकताएं पूरी होने के बाद उन्हें रिहा कर दिया जाएगा।
आईएसपीआर ने कहा, शेष लोगों की दया याचिकाओं पर कानूनी प्रक्रिया के बाद समय पर निर्णय लिया जाएगा। इसने आगे कहा, दोषी ठहराए गए सभी लोगों को कानून और संविधान के अनुसार अपील और अन्य कानूनी उपायों का अधिकार है।
यह ऐलान ऐसे समय में किया गया जब पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) और सरकार के बीच राजनीतिक तनाव को दूर करने के लिए बातचीत जारी है। ऐसा लगता है कि दोनों पक्ष किसी टकराव को टालना चाहते हैं।
पीटीआई 9 मई और नवंबर, 2024 की घटनाओं की जांच के लिए न्यायिक आयोग के गठन और राजनीतिक कैदियों की रिहाई सहित महत्वपूर्ण मुद्दों को हल करना चाहती है।
पीटीआई ने सैन्य अदालतों में नागरिकों के खिलाफ चल रहे मुकदमों पर सवाल उठाए हैं। इसने आरोप लगाया कि सरकार और सैन्य प्रतिष्ठान 9 मई की घटना का इस्तेमाल इमरान खान और पार्टी पर नकेल कसने के लिए करने के लिए कर रहे हैं।