नई दिल्ली. चेन्नई सुपरकिंग्स को ऑक्शन के वक्त कम करके आंका जा रहा था क्योंकि इसमें उम्रदराज खिलाड़ियों की तादाद ज्यादा थी. लेकिन, ये IPL-11 के फाइनल में पहुंचने वाली पहली टीम बनी. ये कमाल उसने पिछले 9 सीजन में रिकॉर्ड 7वीं बार कर दिखाया है. वहीं, दूसरी ओर राजस्थान के लिए एलिमिनेटर की दीवार लांघकर क्वालिफायर का टिकट कटाना मुश्किल हो गया, वो भी तब जब इस टीम में युवा खिलाड़ियों की पूरी फौज थी. हम इन दो टीमों की तुलना इसलिए कर रहे हैं क्योंकि स्कोर बोर्ड पर इन दोनों का लक्ष्य एक था. लेकिन, उम्रदराज खिलाड़ियों से लैस चेन्नई उस लक्ष्य को भेदने में जहां कामयाब रहा वहीं राजस्थान का युवा जोश घुटने टेक गया.
3 ओवर, 43 रन… CSK पास
सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ खेले क्वालिफायर वन में चेन्नई सुपरकिंग्स को फाइनल के टिकट के लिए आखिरी के 3 ओवर में 43 रन चाहिए थे और उनके 3 विकेट हाथ में थे. CSK ने इस मुकाबले को अपने अनुभव के दम पर 2 विकेट से जीत लिया.
3 ओवर, 43 रन… RR फेल
कोलकाता नाइट राइडर्स के खिलाफ एलिमिनेटर मुकाबला जीतने के लिए भी राजस्थान को आखिरी के 3 ओवरों में 43 रन की दरकार थी. बड़ी बात ये है कि इसके 7 विकेट हाथ में शेष थे. लेकिन, इसके बावजूद राजस्थान 25 रन से ये मुकाबला हार गया.
जोश पर भारी अनुभव
साफ है, जीत की जो स्क्रिप्ट चेन्नई सुपरकिंग्स ने 3 विकेट हाथ में रहते अपने अनभवी सिपाहलारों के दम पर लिख दी, उसी स्टोरी को दोहराने में राजस्थान की युवा फौज के 7 विकेट शेष रहने के बावजूद पसीने छूट गए. नतीजा, ये रहा कि वो चेन्नई की तरह चमक भी नहीं सके और खिताबी रेस से बाहर भी हो गए. ये इस बात का प्रमाण भी है कि अनुभव का कोई विकल्प नहीं हो सकता.