बड़ा सवाल! 10 मिनट में कैसे फूड डिलीवरी कर रहे जोमैटो-स्विगी-जेप्टो, कहीं क्वालिटी से तो नहीं हो रहा खिलवाड़?

 लोगों को आज हर चीज बहुत ही जल्दी चाहिए, फिर चाहे बात खाने की ही क्यों ना हो. यही वजह है कि भारत में फूड डिलीवरी कंपनियां तेजी से ग्रोथ कर रही हैं.

 भारत में फूड डिलीवरी इंडस्ट्री में जबरदस्त उछाल देखा जा रहा है. जोमैटो, स्विगी और जेप्टो जैसे कई कंपनियों मोटा पैसा कमा रही हैं. इसी ग्रोथ फैक्टर को देखते हुए अन्य कई छोटी-बड़ी कंपनियों इस सेक्टर में कूद रही हैं. ‘10 मिनट में फूड डिलीवरी’ का दावा इन कंपनियों के सफलता के पीछे का मूल मंत्र दिखता है. लेकिन सवाल ये उठ रहे हैं कि आखिर 10 मिनट में जोमैटो, स्विगी और जेप्टो जैसी कंपनियां फूड डिलीवरी कैसे कर रही हैं. कहीं खाने की क्वालिटी से तो खिलवाड़ नहीं हो रहा है?

खाने को लेकर ग्राहकों में बेसब्री

भारत में फूड डिलीवरी ऐप 10 मिनट से भी कम समय में बिरयानी से लेकर हॉट ड्रिंक्स (Hot Beverages) तक पहुंचाने का वादा कर रहे हैं. वजह, खाने को लेकर ग्राहकों में उत्साह और बेसब्री देखी गई है. खाने की डिलीवरी में जरा सी देरी ग्राहकों के इस उत्साह को डाउन करती है और वे अगली बार से उसके बजाय किसी दूसरे फूड डिलीवरी ऐप से खाना ऑर्डर करते हैं. इस इंडस्ट्री में कॉम्पिटिशन का यही बड़ा फैक्टर है, जिसे फूड डिलीवरी कंपनियां अच्छे समझती हैं. इसी वजह से वे 10 मिनट में फूड डिलीवरी करने जैसे दावे करती हैं.

फूड डिलीवरी इंडस्ट्री में ग्रोथ

अधिक इम्पल्सिव कस्टमर्स ने फूड डिलीवरी इंडस्ट्री की सूरत को बदल कर ही रख दिया है. फूड डिलीवरी कंपनियों के रिवेन्यू में जबरदस्त ग्रोथ देखी गई. पिछले महीने लिस्टिंग के बाद से स्विगी के शेयरों में 53% की वृद्धि हुई है, जबकि इस साल जोमैटो में 133% की उछाल आई है. जेएम फाइनेंशियल की 18 दिसंबर की रिपोर्ट के अनुसार, भारत का ऑनलाइन फूड डिलीवरी मार्केट मार्च 2029 तक दोगुना से अधिक 15 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है.

10 मिनट में फूड डिलीवरी कैसे?

कई लोगों के मन में सवाल है कि ये कंपनियां आखिर कैसे 10 मिनट में धड़ल्ले से फूड डिलीवरी कर पा रही हैं. एक रिपोर्ट में बताया गया है कि जोमैटो की यूनिट ब्लिंकिट का फूड डिलीवरी ऐप बिस्ट्रो और जेप्टो कैफे खाने-पीने की चीजों को तेजी से पकाने और उनको इकट्ठा करने के लिए इन-हाउस किचन पर निर्भर हैं. स्विगी स्टारबक्स कॉर्प से लेकर मैकडॉनल्ड्स कॉर्स के रेस्टोरेंट के साथ पार्टनरशिप कर रहा है. इस तरह ही अन्य फूड डिलीवरी कंपनियां अन्य फूड कॉर्नर, फूड शॉप और रेस्टोरेंट से तालमेल बैठाकर ग्राहकों को 10 मिनट से कम समय में भी खाना उनके दरवाजे तक पहुंचाती हैं.

क्वालिटी से तो नही हो रहा खिलवाड़?

उदाहरण के लिए, अगर मटर पनीर की सब्जी और 5 रोटियों की बात करें, तो बनाने में औसतन 40 से 50 मिनट तक का समय लग सकता है. ऐसे में ये सवाल वाजिब लगता है कि आखिर 10 मिनट में कैसे ये कंपनियां खाने की डिलीवरी कर पा रही हैं. एक रिपोर्ट में ‘क्यूकॉम फॉर फूड’ के फाउंडर ने कहा कि खाना पकाने का समय 2 मिनट और डिलीवरी का समय 8 मिनट… आखिर ये कैसे, ये परेशान करने वाला है.

वहीं, बॉम्बे शेविंग कंपनी के फाउंटर शांतनु देशपांडे ने भी 10 मिनट में फूड डिलीवरी सिस्टम पर चिंता जताई है. वे कहते हैं कि हम खराब पोषण, अनहेल्दी प्रोसेस्ड, अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड की सबसे बड़ी महामारी से पीड़ित हैं, जिसमें पाम ऑयल और चीनी की मात्रा काफी अधिक है. हालांकि, फास्ट मील डिलीवरी करने वाली कंपनियां ग्राहकों को भरोसा दिलाती हैं कि वे खाने की क्वालिटी से समझौता नहीं करती हैं.

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