चौटाला का राजनीतिक सफर काफी रोमांचक रहा था. यह जानना अहम है कि कैसे पहला चुनाव हारने वाले चौटाला हरियाणा के पांच बार सीएम बने. आइये जानते हैं उनका राजनीतिक करियर…
जेल से पास की 10वीं-12वीं
पूर्व उप प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल के बेटे ओपी चौटाला का जन्म एक जनवरी 1935 को हुआ था. पांच भाई-बहनों में सबसे बड़े ओपी का मन पढ़ाई में नहीं लगा, जिस वजह से उन्होंने शुुरुआती शिक्षा के बाद ही पढ़ाई छोड़ दी. 2013 में शिक्षक भर्ती घोटाला में चौटाला को जेल हो गई. वे तिहाड़ जेल में बंद थे. इस दौरान उन्होंने 82 साल की उम्र में पहले दसवीं और फिर 12वीं की परीक्षा पास की.
पहला चुनाव हारे फिर ऐसे बने विधायक
1968 में चौटाला ने राजनीतिक गलियारे में कदम रखा. पहला चुनाव उन्होंने अपने पिता देवीलाल की परपंरागत सीट ऐलनाबाद से लड़ा. उनके सामने पूर्व मुख्यमंत्री राव बीरेंद्र सिंह की विशाल हरियाणा पार्टी से लालचंद खोड़ खड़े हुए. पहले चुनाव में चौटाला को हार का सामना करना पड़ा.
हालांकि, हार से चौटाला शांत होकर बैठने वालों में से नहीं थे. उन्होंने चुनाव में गड़बड़ी का आरोप लगाया और हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा दिया. एक साल सुनवाई चली और लालचंद की सदस्यता रद्द हो गई. 1970 में फिर उपचुनाव हुए. जनता दल के टिकट पर चौटाला दोबारा चुनावी मैदान उतरे. इस बार उन्हें सफलता मिल गई और वे विधायक बन गए.
पहली बार ऐसे मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे
1987 के विधानसभा चुनाव में लोकदल को 90 में से 60 सीटों पर जीत मिली. प्रचंड बहुमत मिलने के बाद देवीलाल दूसरी बार मुख्यमंत्री बने. दो साल बाद लोकसभा चुनाव हुए और जनता दल की सरकार बन गई. वीपी सिंह प्रधानमंत्री बने. देवीलाल सरकार में उप प्रधानमंत्री बने. दिल्ली में अगले दिन लोकदल के विधायकों की मीटिंग हुई. मीटिंग में ओपी चौटाला को प्रदेश का नया सीएम चुन लिया गया. इस तरह पहला चुनाव हारने वाले चौटाला हरियाणा के सीएम बने.