इन सांसदों के नाम हैं शांतनु ठाकुर, जगदंबिका पाल, बीवाई राघवेंद्र, गिरिराज सिंह, नितिन गडकरी, ज्योतिरादित्य सिंधिया,विजय बघेल, उदयराजे भोंसले, जगन्नाथ सरकार और जयंत कुमार रॉय. हालांकि गायब होने वाले सांसदों की संख्या 20 के करीब बताई जा रही है. यह 10 बड़े नाम लोकसभा में बहस से कहां गायब थे, इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है लेकिन इस बात ने सवाल उठा दिया है कि व्हिप जारी होने के बाद यदि कोई सांसद या मंत्री संसद में अपनी पार्टी के साथ नहीं होता है तो फिर उस पर क्या एक्शन होता है.
क्या होता है व्हिप
लेकिन उससे पहले यह जानते हैं कि आखिर व्हिप क्या होता है. संसद में व्हिप किसी पार्टी के लिए वह लिखित आदेश होता है जिसके जारी होने के बाद सदस्य को सदन में मौजूद रहना ही पड़ता है. व्हिप जारी होते ही पार्टी के सदस्य इससे बंध जाते हैं और यह हर किसी पर बाध्यकारी होता है. पार्टी अपने लेवल पर एक सदस्य को भी नियुक्त करती है जो चीफ व्हिप कहलाता है.
आगे क्या हो सकता है एक्शन
अब अगर पार्टी सदस्य ने पार्टी व्हिप को नहीं माना तो उसकी संसद की सदस्यता या सांसद के रूप में उसकी स्थिति खतरे में पड़ा सकती है. दलबदल-रोधी कानून के तहत उस सदस्य को अयोग्य भी घोषित किया जा सकता है. लेकिन अगर किसी पार्टी के एक तिहाई सदस्य व्हिप तोड़ते हैं और पार्टी लाइन के खिलाफ जाकर वोट करते हैं तो इसे मान लिया जाता है. अब ऐसे में देखना यह होगा कि बीजेपी ने जो व्हिप जारी किया था, उसे न मानने वाले दिग्गज हैं. इसमें देखने वाली बात यह होगी कि इसमें आगे क्या हो सकता है.