लोकसभा में स्वीकार हुआ ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विधेयक, पक्ष में पड़े 269 वोट, JPC को भेजा गया बिल

वन नेशन, वन इलेक्शन बिल को लोकसभा में स्वीकार कर लिया गया है. इसके लिए पहले संसद के निचले सदन में मतदान कराया गया. बिल के पक्ष में 269 सदस्यों ने वोट डाले, जबकि इसके विरोध में 198 मत पड़े.

 संसद के निचले सदन लोकसभा में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विधेयक स्वीकार हो गया है. बिल को स्वीकार करने के लिए हुए मतदान में विधेयक के पक्ष में 269 वोट पड़े, जबकि बिल के विरोध में 198 सदस्यों ने मतदान किया. मतदान के बाद बिल को जेपीसी के पास भेज दिया गया. इससे पहले केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने वन नेशन, वन इलेक्शन को लोकसभा के पटल पर रखा.

कानून मंत्री ने दिया बिल को JPC में भेजने का प्रस्ताव

बता दें कि  देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एकसाथ कराने के प्रावधान वाले ‘संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024’ को लोकसभा में मत विभाजन के बाद पेश किया. अर्जुन राम मेघवाल ने प्रस्ताव दिया कि विधेयकों को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजा जाना चाहिए. मतदान के बाद इसे जेपीसी के पास भेज दिया गया. इसके साथ ही गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि, ये बिल कैबिनेट में आया था, तब पीएम मोदी ने कहा था कि इसे संयुक्त संसदीय समिति को भेजना चाहिए.

कांग्रेस समेत विपक्षी सदस्यों ने किया विरोध

वहीं कांग्रेस समेत कई अन्य विपक्षी दलों ने लोकसभा में इस विधेयक का विरोध किया. विपक्ष ने आरोप लगाया कि यह विधेयक संविधान के मूल ढांचे पर हमला है तथा देश को तानाशाही की तरफ ले जाने वाला कदम है. इसके साथ ही विपक्ष ने कहा कि विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजा जाना चाहिए. हालांकि तमाम विरोध के बाद भी सरकार ने वन नेशन, वन इलेक्शन विधेयक को लोकसभा में पेश किया गया.

क्या बोले केंद्रीय कानून मंत्री मेघवाल

विपक्ष ने कहा कि इस विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजा जाना चाहिए. वहीं कानून मंत्री मेघवाल ने कहा कि एक साथ चुनाव कराने से संबंधित प्रस्तावित विधेयक राज्यों की शक्तियों को छीनने वाला नहीं है. उन्होंने कहा कि यह विधेयक पूरी तरह संविधान सम्मत है. वहीं कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि संविधान के बुनियादी पहलू है, जिसमें संशोधन इस सदन के अधिकार क्षेत्र से बाहर है. उन्होंने कहा कि यह विधेयक संविधान के बुनियादी ढांचे पर हमला है और इस सदन के विधायी अधिकार क्षेत्र से परे है.

तिवारी ने कहा कि, भारत राज्यों का संघ है और ऐसे में केंद्रीकरण का यह प्रयास पूरी तरह संविधान विरोधी है. कांग्रेस नेता ने कहा आग्रह किया कि इस विधेयक को वापस लिया जाना चाहिए. वही सपा सांसद धर्मेंद्र यादव ने कहा कि, ‘दो दिन पहले सत्तापक्ष ने संविधान पर चर्चा के दौरान बड़ी-बड़ी कसमें खाईं और अब दो ही दिन के अंदर संविधान के मूल ढांचे और संघीय ढांचे को खत्म करने के लिए यह विधेयक लाए हैं.’

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