चीन-पाक ‘आयरन ब्रदरहुड’ में आई दरार, अमेरिका की ओर पाकिस्तान का झुकाव

पाकिस्तान ने रणनीतिक कूटनीति में बड़ा बदलाव किया है. अमेरिका, चीन और पाकिस्तान के त्रिकोणीय संबंधों ने वैश्विक राजनीति में नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं. 

पाकिस्तान की रणनीतिक कूटनीति में हाल के वर्षों में बड़ा बदलाव देखने को मिला है. अमेरिका, चीन और पाकिस्तान के त्रिकोणीय संबंधों में बदलते समीकरणों ने वैश्विक राजनीति में नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं. इसके साफ संकेत हाल के बदलते घटनाक्रमों के जरिए समझा जा सकता है.

चीन-पाकिस्तान का ‘आयरन ब्रदरहुड’ संकट में

पाकिस्तान, जिसे चीन ने 2000 के बाद से 67.2 बिलियन डॉलर से अधिक का कर्ज दिया है, अब उसी चीन से दूरी बनाता दिख रहा है. हाल ही में पाकिस्तान के जनरल साहिर शमशाद मिर्जा ने शांगरीला वार्ता-2023 में खुलासा किया कि पाक-चीन संबंध मजबूरी में बने हैं. इसके विपरीत, अमेरिका के प्रति पाकिस्तान का झुकाव बढ़ता नजर आ रहा है.

अमेरिकी सहायक विदेश मंत्री डोनाल्ड लू ने जुलाई 2024 में कहा था, “चीन पाकिस्तान में अतीत है, हम (अमेरिका) भविष्य हैं.” यह बयान पाकिस्तान की मौन स्वीकृति के संकेत देता है.

अमेरिका-पाकिस्तान संबंधों की पुरानी धरोहर

पाकिस्तान और अमेरिका के संबंधों का इतिहास लंबा और रणनीतिक है. पाकिस्तान न केवल अमेरिका का सबसे बड़ा गैर-नाटो सहयोगी रहा है, बल्कि उसने SEATO और CENTO जैसे अमेरिकी नेतृत्व वाले समूहों में भी भाग लिया. पाकिस्तान का व्यापार अधिशेष अमेरिका और पश्चिमी देशों के साथ 5.4 बिलियन डॉलर है, जबकि चीन के साथ उसका व्यापार घाटा 15 बिलियन डॉलर से अधिक है.

पाकिस्तान में बढ़ती चीनी प्रभाव के खिलाफ वहां की जनता और मध्यम वर्ग भी असंतोष जताने लगे हैं. चीनी परियोजनाओं के तहत संसाधनों और सामरिक भूमि का नुकसान अब स्थानीय लोगों को खलने लगा है.

चीन-पाक संबंधों में तनाव और अमेरिका की वापसी

CPEC यानी चीन पाक इकोनॉमिक कॉरिडोर और अन्य चीनी परियोजनाओं पर बढ़ते हमलों ने चीन की चिंताओं को बढ़ा दिया है. मार्च 2024 में बेशाम में चीनी काफिले पर हुए हमले के बाद चीनी श्रमिकों ने परियोजनाओं पर काम रोक दिया. इसके जवाब में चीन ने कड़ी सुरक्षा की मांग की, जिससे पाकिस्तानी सेना की स्वायत्तता पर सवाल खड़ा हुआ.

इसके विपरीत, अमेरिका ने पाकिस्तान को सैन्य सहायता और आतंकवाद विरोधी अभियानों के लिए वित्तीय पैकेज देना शुरू कर दिया है. एफ-16 लड़ाकू विमानों के लिए 450 मिलियन डॉलर का पैकेज और अन्य सहायता ने पाकिस्तान के लिए अमेरिका को एक ‘पसंदीदा साझेदार’ बना दिया है.

ग्वादर और  भू-राजनीतिक समीकरण

चीन ग्वादर बंदरगाह को एक सैन्य अड्डे में बदलने का प्रयास कर रहा है. हालांकि, पाकिस्तान ने सितंबर 2023 में अमेरिकी राजदूत को बंदरगाह का दौरा करवाकर चीन को स्पष्ट संकेत दिया कि वह अपने विकल्प खुले रखना चाहता है.

नए समीकरण और पाकिस्तान की दोहरी नीति

पाकिस्तान दोहरा खेल खेलते हुए अमेरिका और चीन के बीच संतुलन साधने की कोशिश कर रहा है. जहां एक तरफ वह चीन से कर्ज और सहायता प्राप्त कर रहा है, वहीं दूसरी तरफ वह अमेरिका से सैन्य हार्डवेयर और आर्थिक समर्थन हासिल कर रहा है. पाकिस्तान के इस रवैये ने उसकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं. हालांकि, फिलहाल पाकिस्तान का झुकाव अमेरिका की तरफ अधिक नजर आ रहा है.

पाकिस्तान की बदलती रणनीति ने वैश्विक राजनीति में एक नया मोड़ दिया है. अमेरिका और चीन के बीच फंसे पाकिस्तान की यह चाल कितना सफल होगी, यह तो समय ही बताएगा. फिलहाल, यह स्पष्ट है कि पाकिस्तान अपने हित साधने के लिए दोनों महाशक्तियों के साथ संबंध बनाए रखने की कोशिश कर रहा है.

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com