दशहरे के दिन अमृतसर में हुए ट्रेन हादसे को रोका जा सकता था , अगर पुलिस अधिकारी पढ़ लेते एक ई-मेल

दशहरे के दिन अमृतसर में हुए ट्रेन हादसे में नया खुलासा हुआ है. दरअसल, इस मामले की जांच जीआरपी को सौंपी गई थी. जीआरपी की जांच में यह बातने आई है कि 18 और 19 अक्टूबर की मध्यरात्रि 12:53 बजे पुलिस कमिश्नरेट कार्यालय ने रेलवे पुलिस (जीआरपी) सहित क्षेत्र के सभी थानों को दशहरे के मद्देनजर सुरक्षा प्रबंध पुख्ता करने के लिए ईमेल भेजी थी.

मेल पर अधिकारियों ने साधी चुप्पी
यह मेल एक सिक्योरिटी ब्रांच से भेजे गए इस मेल में हर उस जगह का नाम दिया गया है, जहां पर सुरक्षा में पुलिस को तैनात रहना था. जिम्मेदारी तय करने के लिए जांच अधिकारी बी पुरुषार्थ ने जांच का काम तेज कर दिया है, लेकिन कोई भी पुलिस अधिकारी इस मेल पर बोलने के लिए तैयार नहीं है. जीआरपी जांच अधिकारियों का कहना है कि अगर पुलिस प्रशासन ने सिक्योरिटी ब्रांच के मेल को गंभीरता से लिया होता, तो यह ट्रेन हादसा होने से बच सकता था. 

स्टेशन मास्टर को दी थी हादसे की जानकारी
जालंधर-अमृतसर डीएमयू के ड्राइवर ने भीषण हादसे के बाद अगले स्टेशन पर स्टेशन मास्टर को हादसे की जानकारी दी थी. रेल अधिकारियों का कहना है कि लोको पायलट को जब आभाष हुआ कि कई लोग ट्रेन की चपेट में आ गए हैं तो उसने तत्काल इस जानकारी अमृतसर स्टेशन मास्टर को दी. अधिकारी ने बताया कि हादसे के कारण को सुनिश्चित करने के लिए ड्राइवर का बयान दर्ज किया जाएगा. अधिकारी ने बताया कि हादसे के बाद जालंधर-अमृतसर (पठानकोट सहित) रूट पर ट्रेनों की आवाजाही रोक दी गई है.  

15 सैकेंड में गई कई लोगों की जान
दशहरे की देर शाम करीब 700 लोग ग्राउंड पर रावण दहन कार्यक्रम के लिए मौजूद थे. करीब 10-15 सेकंड में ट्रेन के गुजरने के बाद चीख-पुकार मच गई. ज्यादातर लोगों को ट्रेन की आवाज नहीं सुनाई दी क्यों कि उस समय पटाखों का शोर था. इस हादसे में 62 लोगों की मौत की पुष्टि हुई थी. 

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