मोहन बाबू के साथ ही उनके बड़े बेटे और अभिनेता मांचू विष्णु भी पेश नहीं हुए।
पुलिस कमिश्नर सुधीर बाबू ने मोहन बाबू और उनके बेटों को जलपल्ली में पारिवारिक घर में हुई घटनाओं को लेकर सुनवाई के लिए बुलाया था।
उन्हें बुधवार को सुबह 10 बजकर 30 मिनट पर व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दिया गया था। मोहन बाबू, मांचू विष्णु और मांचू मनोज को भेजे गए नोटिस में उल्लेख किया गया है कि उन पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 329 (4) (आपराधिक अतिक्रमण और घर में घुसना) और 115 (2) (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
जानकारी के अनुसार स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों का सामना कर रहे मोहन बाबू को गच्चीबावली के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 78 वर्षीय अभिनेता और पूर्व सांसद को उच्च रक्तचाप की शिकायत है।
मोहन बाबू ने राचकोंडा पुलिस आयुक्त द्वारा दिए गए नोटिस को चुनौती देते हुए तेलंगाना उच्च न्यायालय में एक याचिका भी दायर की।
मांचू मनोज ने मीडिया को बताया कि वह पुलिस आयुक्त के समक्ष पेश होने के लिए और समय मांगेंगे। उन्होंने कहा कि कल रात जलपल्ली में घर पर हुए हमले में उन्हें अधिक चोट आई है। कथित तौर पर मनोज ने वहां सुरक्षा में तैनात बाउंसर्स के साथ बहस की और घर के अंदर जबरन प्रवेश करने के लिए गेट तोड़ दिया। घर में घुसने के बाद, कथित तौर पर उन्होंने मारपीट की थी।
वहीं, मामले को लेकर मनोज ने पहले पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि रविवार को करीब 10 लोगों ने उनके घर पर हमला किया। युवा अभिनेता ने कहा कि उनकी लड़ाई संपत्ति के लिए नहीं है क्योंकि वह परिवार पर निर्भर नहीं हैं। उन्होंने दावा किया कि वह सच्चाई के लिए लड़ रहे हैं।
अपने पिता को भगवान की तरह बताने वाले मनोज ने आरोप लगाया कि उनके भाई मांचू विष्णु और उनके सहयोगी विनय ने उनके पिता को फंसाया और उन्हें दुश्मन के रूप में पेश किया।
मोहन बाबू ने मंगलवार देर रात एक वीडियो जारी कर कहा कि मनोज को उनके घर में घुसने का कोई अधिकार नहीं है और वह तय करेंगे कि संपत्ति को तीन बच्चों में बांटना है या किसी को दान करना है।