उल्लेखनीय है कि द्वादश ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के स्वरूपों का प्रतीक हैं, और इन्हें हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है। मौनी महाराज द्वारा इन्हें रुद्राक्ष मणियों से स्थापित करने का निर्णय, न केवल आध्यात्मिकता का प्रतीक है, बल्कि यह धार्मिक श्रद्धा और भारतीय परंपरा को भी दर्शाता है।
द्वादश ज्योतिर्लिंग के साथ-साथ, 11 हजार त्रिशूलों की स्थापना भी की जाएगी। त्रिशूल, भगवान शिव का मुख्य अस्त्र है। इस आयोजन का उद्देश्य हिंदू समाज और शिव भक्तों के बीच एकता और शक्ति का संदेश फैलाना है।
मौनी महाराज लंबे समय से हिंदू राष्ट्र की स्थापना और भारतीय संस्कृति के लिए कार्य कर रहे हैं।
यह विशाल शिवलिंग और त्रिशूल स्थापना, न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होगी, बल्कि यह लाखों श्रद्धालुओं के लिए ध्यान, प्रार्थना और आकर्षण का केंद्र भी बनेगा।
मौनी जी महाराज ने इस पर और अधिक जानकारी देते हुए बताया कि एक ज्योतिर्लिंग तैयार करने के लिए कई लाख रुद्राक्ष लगेंगे। बाबा का सिरमौर विशेष रुद्राक्ष से बनेगा। ज्योतिर्लिंग में शिव परिवार की भी उपस्थित होगी। आगे लक्ष्मी का स्थान होगा। इसमें कार्तिकेय का स्थान है जिसमें नंदी जी दाहिने तरफ होंगे। ऐसे ही गणपति जी का स्थान रहेगा। इसमें भगवती जी सामने हैं। इसमें अंगवस्त्र भी होंगे और बाबा का पूरा श्रृंगार होगा।
ज्योतिर्लिंग के लिए रुद्राक्ष मणियों का सहयोग करने वाले शिव भक्तों का भी अभिनंदन किया गया है। एक पोस्ट के जरिए उन्होंने बताया गया कि सम्पूर्ण विश्व में पहली बार तीर्थराज प्रयाग की तपोभूमि पर माघ मास के पुनीत पावन अवसर पर 13 जनवरी 2025 से 26 फरवरी 2025 तक आयोजित महाकुंभ में मौनी जी महाराज, जो भारतीय हिंदू संरक्षण समिति के अखिल राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं, के शिविर में द्वादश ज्योतिर्लिंगों के निर्माण में लगभग सवा दो करोड़ रुद्राक्ष मणियों का सहयोग करने वाले शिव भक्तों का हम सब हार्दिक स्वागत, वंदन एवं अभिनंदन करते हैं।
गौरतलब है कि महाकुंभ, दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है, जहां करोड़ों लोग आस्था और शांति की खोज में आते हैं। मौनी महाराज की यह पहल इस महाकुंभ में एक और आकर्षण जोड़ती है।