विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने हाल ही में संसद में जानकारी दी कि भारत-चीन सीमा पर शांति और स्थिरता बहाल करने के प्रयास जारी हैं. उन्होंने कहा, “डेमचॉक और देपसांग के क्षेत्रों में समझौता एक सकारात्मक कदम है. भारत ने हमेशा सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति को द्विपक्षीय संबंधों की नींव माना है.”
विवाद की पृष्ठभूमि और समाधान की शर्तें
2020 में गलवान घाटी में हुए हिंसक संघर्ष के बाद से भारत-चीन संबंध तनावपूर्ण रहे हैं. इसके चलते सीमा पर भारतीय सेना की पट्रोलिंग बाधित हुई थी. दोनों तरफ सेनाओं की बढ़त ने मिरर डिप्लॉयमेंट में सेनाओं को आमने सामने खड़ा कर दिया जिससे युद्ध के बादल लंबे समय तक ईस्टर्न लद्दाख में छाए रहे. सरकार और सेना ने मिलकर इस चुनौती का डटकर सामना किया. तब से लेकर अब तक कई दौर की सैन्य और कूटनीतिक वार्ताएं हुई और फिर जाकर डिसेंगेजमेंट पर सहमति बनी जिसके बाद ईस्टर्न लद्दाख में भारत और चीन की सेनाओं ने अपने कदम पीछे खींचकर पूर्ववर्ती स्थिति को बहाल किया है .
विदेश मंत्री ने बताया कि 21 अक्टूबर, 2024 को डेमचॉक और देपसांग में डिसइंगेजमेंट समझौता हुआ था. इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कज़ान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान मुलाकात की. इस बैठक में दोनों नेताओं ने सीमा विवाद पर सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने की सहमति जताई.
डेमचॉक का महत्व
डेमचॉक न केवल सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इस क्षेत्र में रहने वाले स्थानीय नागरिकों, विशेषकर खानाबदोश समुदाय, के लिए भी यह बेहद अहम है. डेमचॉक के पारंपरिक चरागाहों और धार्मिक स्थलों तक उनकी पहुंच लंबे समय से बाधित थी. इस समझौते के तहत उनके अधिकार बहाल किए जा रहे हैं.
चीनी सेना की गतिविधियां
चीन की सेना ने भी देपसांग में 4 और डेमचॉक में 1 पॉइंट पर अपनी पट्रोलिंग की है. भारतीय सेना ने इन गतिविधियों पर नज़र बनाए रखी है. दोनों तरफ से गश्त पूरी होने पर पूर्ववर्ती स्थिति बहाल होने की संभावना है जिसके बाद दोनों तरफ से पहले की तरह पेट्रोलिंग की फ्रिक्वेंसी रहेगी.
भारतीय सेना ने मौसम की प्रतिकूलता के बावजूद सीमाई क्षेत्रों में अपनी रणनीति को मजबूती से लागू किया है. सीमा पर बुनियादी ढांचे में सुधार के साथ-साथ सैनिकों की तैनाती और गश्त की प्रक्रिया को तेज किया गया है.
डॉ. जयशंकर ने संसद में कहा, “हमारी कूटनीतिक और सैन्य टीमों ने संयुक्त रूप से यह सुनिश्चित किया है कि देश के सामरिक हितों की रक्षा हो. देपसांग और डेमचॉक में समझौते के बाद अब शांति बहाल करने और तनाव घटाने की दिशा में आगे बढ़ा जा सकता है.”
आगे अभी क्या चैलेंज बाकी है?
डेमचॉक में पट्रोलिंग की सफलता भारत-चीन सीमा विवाद में एक बड़ा मील का पत्थर साबित हो सकती है. हालांकि, अभी भी कई मुद्दे लंबित हैं, जिन पर सरकार और सेना लगातार काम कर रहे हैं. अब सबसे महत्पूर्ण है गोगरा, हॉट स्प्रिंग, गलवान पीपी 14 और पेंगोंग एरिया में पेट्रोलिंग की पूर्ववर्ती स्थिति बहाल करना. इससे पहले इन इलाकों में डिसेंगेजमेंट तो हुआ था लेकिन पेट्रोलिंग बहाल नहीं हुई थी. दोनों तरफ से बफर बनाकर इसे यथावत छोड़ दिया गया था. आगे की बातचीत में यह दोनों देशों के बीच महत्वपूर्ण मुद्दा है.