विपक्षी नेता को मिली करारी हार
दरअसल, मंगलवार को नामीबिया में हुए संसदीय चुनाव के नतीजे सामने आए हैं. चुनाव में स्वैपो पार्टी को 57 प्रतिशत वोट मिले हैं. बता दें, राष्ट्रपति बनने के लिए 50 प्रतिशत वोटों की आवश्यकता थी. खास बात है कि नंदी ने अपने प्रतिद्वंदी को कड़ी मात दी है. उनके प्रतिद्वंदी पांडुलेनी इटुला को सिर्फ 26 प्रतिशत वोट ही मिले हैं. 1990 में नामीबिया को दक्षिण अफ्रीका से आजादी मिली थी. उस वक्त से नंदी नदैतवाह लगातार राजनीति में सक्रिय रहीं. इसी सक्रियता का नतीजा है कि उन्होंने देश में इतिहास रच दिया है.
विपक्ष ने लगाए खूब आरोप
चुनाव में मिली करारी हार से बौखलाये हुए विपक्षी दल ने चुनाव की प्रक्रिया में धांधली के आरोप लगाए हैं. विपक्ष ने आरोप लगाया है कि मतपत्र की कमी और अन्य तकनीकी खराबी की वजह से उन्हें हार का सामना करना पड़ा. उन्होंने कोर्ट में जाने की बात कही है.
ऐसा है नंदी का राजनीतिक सफर
नंदी की उम्र 72 साल है. वे राजनीति में लंबे समय से स्रकिय हैं. 1960 के दशक में उन्होंने स्वैपो पार्टी ज्वाइन की थी. उन्होंने इसके बाद विदेश मंत्री सहित कई वरिष्ठ भूमिकाएं निभाई हैं. वे स्वैपो पार्टी की महत्वपूर्ण नेता थीं. देश की आजादी के बाज से वे किसी-न-किसी प्रकार से देश का नेतृत्व कर रहीं हैं. पार्टी के अन्य नेताओं के उलट नंदी की छवि भ्रष्टाचार मुक्त रही है. उन्होंने अपनी जीत के बाद नामीबियाई लोगों का आभार किया और कहा कि नामीबियाई ने शांति और स्थिरता के लिए मतदान किया है.