नव-निर्वाचित राष्ट्रपति ट्रंप ने इस कदम को न्याय की विफलता करार दिया है।
जो बाइडेन ने जून में कहा था कि वह न तो अपने बेटे को माफ करेंगे और न ही उसकी सजा कम करेंगे।
बाइडेन की तरफ से अपने बेटे को माफी देना, एक बड़ा यू टर्न माना जा रहा है। इसने अमेरिकी न्याय विभाग के निष्पक्ष कामकाज को सवालों के घेरे में ला दिया है।
बाइडेन ने अपने फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि उनके बेटे के खिलाफ मामले राजनीति से प्रेरित थे जिन्हें उनको और हंटर को तोड़ने के लिए आगे बढ़ाया गया था।
इस बीच, अमेरिकी सत्ता के गलियारों में इस बात पर तीखी बहस शुरू हो गई है कि क्या न्याय विभाग को राजनीतिक ताकतें नियंत्रित करती हैं।
व्यापक रूप से माना जा रहा है कि न्याय विभाग की ओर से अदाणी पर लगाए गए अभियोग के पीछे भी निवर्तमान बाइडेन सरकार की राजनीति है।
कई राजनीतिक और भू-राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप के सत्ता में आने के बाद, अदाणी के खिलाफ अभियोग को भी वापस लिया जा सकता है।
वकील और अमेरिकी डीप स्टेट के कड़े आलोचक कश्यप पटेल ने अमेरिकी कानून प्रवर्तन और खुफिया एजेंसियों में व्यापक बदलाव की मांग की है। उन्होंने कहा, न्याय विभाग में सभी लोग बस अपनी अगली पदोन्नति की तलाश में हैं।
पटेल को ट्रंप ने अगले एफबीआई निदेशक के रूप में नामित किया है।
यह न्याय विभाग ही था जिसने प्रतिभूति और विनिमय आयोग (एसईसी) के साथ मिलकर अदाणी समूह के अध्यक्ष गौतम अदाणी और समूह के अन्य अधिकारियों पर रिश्वतखोरी के आरोप लगाए थे।
अमेरिकी राष्ट्रपति के बेटे हंटर बाइडेन को दोषी ठहराया गया, जबकि गौतम अदाणी, सागर अदाणी और वरिष्ठ कार्यकारी विनीत जैन को न्याय विभाग और एसईसी की ओर से केवल आरोपित किया गया।
न्याय विभाग ने एक सार्वजनिक बयान में कह चुका है, जब तक दोषी साबित नहीं हो जाते, तब तक प्रतिवादी निर्दोष हैं।
न्याय विभाग और एसईसी ने अदाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (एजीईएल) के प्रमुख अधिकारियों गौतम अदाणी, सागर अदाणी और विनीत जैन के खिलाफ न्यूयॉर्क जिला न्यायालय में अभियोग और दीवानी शिकायत दर्ज की थी।
हालांकि, अदाणी ग्रुप ने आरोपों का खंडन करते हुए इसे निराधार बताया और कहा कि वह अपने बचाव के लिए कानूनी सहारा लेगा।