कर्नाटक के बेंगलुरु में कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण समारोह में शिरकत करने पहुंचीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी उस समय भड़क गईं, जब उनको कार्यक्रम स्थल पर ट्रैफिक जाम का सामना करना पड़ा. बेंगलुरु में बुधवार को हुए कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण के समारोह स्थल पर काफी वाहनों के पहुंचने से रास्ता ब्लॉक हो गया था. इसके चलते ममता बनर्जी को विधानसभा पहुंचने के लिए कुछ दूर तक पैदल चलना पड़ा. बेंगलुरु में खराब ट्रैफिक व्यवस्था से नाराज ममता बनर्जी ने मंच पर मौजूद कर्नाटक पुलिस महानिदेशक (DGP) नीलमणि राजू को खरीखोटी सुनाई और बदइंतजामी की शिकायत की.
ममता का गुस्सा यहीं पर शांत नहीं हुआ. इसके बाद वह गुस्से में कुमारस्वामी व पूर्व प्रधानमंत्री देवगौड़ा के पास तक पहुंच गईं और इस पर असंतोष जाहिर किया. यह पूरी घटना वीडियो में कैद हो गई. तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी द्वारा खराब ट्रैफिक व्यवस्था को लेकर DGP पर भड़कने का वीडियो वायरल हो रहा है. मालूम हो कि बुधवार को जेडीएस के कुमारस्वामी ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. उनके शपथ ग्रहण समारोह में शिरकत करने विपक्ष के तमाम नेता पहुंचे और एकजुटता दिखाई.
कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में विपक्ष के तकरीबन सभी दल एकजुट हुए. इसमें पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक के गैर बीजेपी नेता शामिल हैं. यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, बसपा प्रमुख मायावती, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी, टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी, टीडीपी अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू, एनसीपी शरद पवार, आरएलडी अध्यक्ष अजीत सिंह, आरजेडी नेता तेजस्वी यादव और सीपीआई डी राजा सहित विपक्ष के सभी नेता मौजूद थे. हालांकि तेलंगाना के सीएम केसीआर नहीं पहुंच सके.
आपको बता दें कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बीजेपी 104 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, लेकिन बहुमत के लिए जरूरी 112 सीटों के जादुई आंकड़े तक नहीं पहुंच पाई. हालांकि राज्यपाल वजुभाई वाला ने सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते बीजेपी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया.
येदियुरप्पा के नेतृत्व में बीजेपी ने कर्नाटक में सरकार भी बना ली, लेकिन विधानसभा में बहुमत नहीं जुटा पाने के चलते उनको मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था. वहीं, जेडीएस और कांग्रेस के पास बहुमत से ज्यादा सीटें हैं. इस चुनाव में कांग्रेस को 78 और जेडीएस को 37 सीटों पर जीत मिली. इस तरह दोनों दलों के विधायकों की संख्या बहुमत के लिए जरूरी 112 के आंकड़े से ज्यादा है.