राष्ट्रीय राजधानी में यूके इंडिया बिजनेस काउंसिल (यूकेआईबीसी) के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री ने ऐसे सेक्टर को लेकर अपनी बात रखी, जहां दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय साझेदारी न केवल आर्थिक विकास और समृद्धि को बढ़ावा देगी, बल्कि ब्रिटेन, भारत और दुनियाभर में लोगों के जीवन में भी सुधार के लिए महत्वपूर्ण होगी।
वाणिज्य मंत्री ने सभा को बताया, एआई और वर्चुअल रियलिटी सहयोग एजुकेशन और ट्रेनिंग को बदल सकता है। टेली-मेडिसिन साझेदारी ब्रिटेन में स्वास्थ्य सेवा की लागत को कम कर सकती है और भारत के दूरदराज के इलाकों में बेहतर स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध करा सकती है।
उन्होंने कहा कि दोनों देश जलवायु मॉडलिंग टूल्स विकसित करने के लिए भी मिलकर काम कर सकते हैं, ताकि दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं का बेहतर पूर्वानुमान लगाने और उनका प्रबंधन करने में मदद मिल सके।
केंद्रीय मंत्री ने उत्पादकता बढ़ाने के लिए फार्मिंग टूल्स और अवशेष मुक्त खेती के उपयोग सहित एग्री-टेक के महत्व पर भी प्रकाश डाला।
यूकेआईबीसी ने ‘यूके-इंडिया टेक्नोलॉजी फ्यूचर्स रिपोर्ट’ भी लॉन्च की, जिसमें भारत-यूके टेक्नोलॉजी साझेदारी को प्रदर्शित किया गया, जो न केवल दोनों देशों में रोजगार और आर्थिक विकास पैदा कर रही है, बल्कि हमारे जीने के तरीके को भी बदल रही है।
दोनों देशों के बीच साझेदारी वैश्विक चुनौतियों जैसे जलवायु परिवर्तन, फूड सिक्योरिटी, फाइनेंशियल इन्क्लूशन और राष्ट्रीय सुरक्षा के समाधान पेश कर रही है।
यूकेआईबीसी के मुख्य परिचालन अधिकारी रिचर्ड मैक्कलम ने कहा, यूकेआईबीसी में हम मानते हैं कि भारत और यूके के बीच टेक्नोलॉजी साझेदारी हमारी समृद्धि से जुड़ी है और वैश्विक भलाई के लिए एक बड़ी ताकत बनती है।
हाल ही में साइन टेक्नोलॉजी सिक्योरिटी इनिशिएटिव (टीएसआई) और मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) वार्ता की बहाली की घोषणा के साथ, इस समय आर्थिक संबंधों में काफी सकारात्मकता और गति है।
मैक्कलम ने कहा, भारत और यूके की टेक्नोलॉजी साझेदारी वैश्विक चुनौतियों से लड़ने के साथ-साथ उभरती टेक्नोलॉजी के विकास और स्थापना को लेकर अहम है। इसमें दोनों देशों की सरकारों का साथ आगे आना बहुत अच्छा है।
रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि 2047 तक भारत के विकसित भारत के विजन के लिए ब्रिटेन एक अहम साझेदार है।
रिपोर्ट में फाइनेंशियल इंक्लूजन, एनर्जी ट्रांजिशन, एडवांस टेक्नोलॉजी और रिसर्च एंड डेवलपमेंट जैसे क्षेत्रों में ब्रिटेन-भारत के बीच सहयोग को मजबूत बनाने के लिए कई सिफारिशें की गई हैं।