सीमावर्ती किसान अश्विनी कुमार की स्ट्रॉबेरी ने बदली किस्मत, अन्नदाताओं को दिखाई नई राह

अश्विनी कुमार के पिता प्रभात चंद ने अपने पुश्तैनी खेतों में पारंपरिक तरीके से खेती की थी, लेकिन अश्विन ने बदलते समय और मांग को देखते हुए खेतों में नई तकनीक से बदलाव किया। उन्होंने पिछले साल स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की थी, जो अब सफलता का उदाहरण बन चुकी है। इस साल मार्च में जब स्ट्रॉबेरी के उत्पादन से उनकी आय दोगुनी से भी ज्यादा हुई, तो उन्होंने बड़े पैमाने पर इसकी खेती शुरू की। अब उनके खेतों में यह फसल न केवल उनकी आय का प्रमुख स्रोत बन चुकी है, बल्कि यह उनकी पहचान की भी हिस्सा है।

अश्विनी का कहना है कि आधुनिक तकनीक और खेती में बदलाव समय की आवश्यकता है। सीमावर्ती क्षेत्र में रहते हुए भी उन्होंने स्ट्रॉबेरी की खेती में कई नए प्रयोग किए हैं और इसके सकारात्मक परिणाम मिले हैं। उनकी इस सफलता को देखकर अब गांव की महिलाएं और अन्य किसान भी इस दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं।

स्ट्रॉबेरी की खेती में कम समय में अधिक लाभ की संभावना ने सबको आकर्षित किया है। उन्होंने बताया कि बागवानी विभाग की ओर से भी किसानों की भरपूर मदद की जा रही है। विभाग ने किसानों को समय-समय पर स्ट्रॉबेरी की खेती के बारे में मार्गदर्शन प्रदान किया है। किसानों को इस बात की जानकारी दी जाती है कि किस मौसम में कौन सी दवाई का छिड़काव करना है और बीज को कहां से लिया जा सकता है।

श्रेष्ठा कुमारी बताती हैं कि स्ट्रॉबेरी की खेती आर्थिक मायने में बहुत ज्यादा लाभदायक है। इससे हम किसानों की आय दोगुनी हो गई है और जब भी हमें खेती से संबंधित किसी चीज की जरूरत होती है, विभाग के लोग आकर हमारी मदद करते हैं। हम चाहते हैं कि अधिक से अधिक लोग स्ट्रॉबेरी की खेती करें।

बागवानी विभाग खोड़ के एचडीओ अमित सराफ ने किसानों को सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के बारे में जागरूक किया। उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों की मदद के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, जिनका लाभ उठाकर सीमावर्ती क्षेत्र के किसान भी अपनी आय बढ़ा सकते हैं।

 

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