हरियाली अमावस्या: प्रकृति के प्रति कृतज्ञ होने का पर्व


अमरपाल सिंह वर्मा

हमारे देश के दूरदर्शी लोगों ने सदियों पहले प्रकृति का महत्व समझ लिया और उसके संरक्षण के उपाय सुनिश्चित किए। आम जन-जीवन में प्रकृति के प्रति आस्था का भाव सदा से रहा है। देश में प्राचीन काल से ही लोग प्रकृति के प्रति श्रद्धा रखते आ रहे हैं। हमारे यहां ऐसे अनेक पर्व और त्योहार हैं जो पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते हैं।
हरियाली अमावस्या ऐसा ही पर्व है, जब लोग न केवल प्रकृति के प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हैं बल्कि पर्यावरण को सुरक्षित रखने का संकल्प भी लेते हैं। सावन महीने की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को आम जन मानस में हरियाली अमावस्या के नाम से जाना जाता है। यह एक ऐसा अवसर है, जब लोगों में अधिकाधिक पेड़ लगाने की होड़ लग जाती है। राजस्थान मेंं तो यह पर्व धार्मिक आस्था से ज्यादा लोगों के लिए पर्यावरण चेतना जागृत करने और पर्यावरण को सुरक्षित कर प्रकृति के प्रति आभार जताने का खास मौका है, जिसे वह कभी नहीं छोड़ते।
राजस्थान में समुदाय में पर्यावरण संरक्षण की अनेक परंपराएं प्रचलित हैं। अगर लोगों ने तीज-त्योहारों के रूप में आनंदित होने के मौके तलाशे हैं तो उन्हें पेड़ लगाने के लिए खास अवसर भी बनाया है। हरियाली अमावस्या एक ऐसा ही अवसर है जो लोगों की धार्मिक आस्था के साथ-साथ पर्यावरण के प्रति चेतना का भी परिचायक है। हरियाली अमावस्या पर नदियों और तालाबों में स्नान व देव पूजन का जितना महत्व है, उतना ही महत्व वृक्षों की पूजा और पौधे लगाने का भी है। इस दिन राजस्थान में अनेक स्थानों पर मेले भरते हैं जिनमें लोग हर्षोल्लास से शामिल होते हैं। इन मेलों में हजारों की तादाद में जन समुदाय उमड़ता है। हरियाली अमावस पर जब लोगों को हम वृक्ष पूजन करते और पेड़ लगाते देखते हैं तो उनमें पर्यावरण के प्रति दायित्व के बोध का एहसास होता है। अजमेर के मांगलियावास गांव में पर्यावरण संरक्षण को समर्पित हजारों लोगों की सहभागिता वाला कल्पवृक्ष मेला पिछले 800 साल से लग रहा है। जोधपुर जिले में बालेसर के जिनजियाला गांव के तेखला धाम पर लगने वाले मेलों में हजारों लोग शिरकत करते हैं। जोधपुर में 105 किलोमीटर लंबी भोगिशैल परिक्रमा यात्रा को देखकर अयोध्या की 24 कोसी परिक्रमा का सा आभास होता है। भोगिशैल यात्रा की समाप्ति के उपरांत लोग वृक्ष पूजा कर पर्यावरण के संरक्षण का संकल्प करते हैं। साथ ही पौधे लगाते हैं। उदयपुर में हरियाली अमावस पर बड़े मेलों का आयोजन होता है। नागौर, सीकर, झुंझुनूं, चूरू जिलों मेंं हरियाली अमावस की धूम रहती है। बीकानेर जिले में हरियाली अमावस को एक बड़े उत्सव की तरह मनाया जाता है। वहां के लोग इस दिन पौधे लगाने, प्रकृति के संरक्षण और गायों की पूजन की परंपरा को कायम रखे हुए हैं। बीकानेर जिले में मां भारती सेवा प्रन्यास, कामधेनु गौशाला अंबासर और राष्ट्रीय गाय आंदोलन राजस्थान जैसे संगठन इस मौके पर गांव-गांव में पर्यावरण को समर्पित कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं जिनमें शिरकत करने वाले ग्रामीण दीपदान करते हैं, पौधे लगाते हैं और गोचर, ओरण व जंगल को बचाने का संकल्प करते हैं। बीकानेर में जहां राष्ट्रीय गाय आंदोलन राजस्थान के अध्यक्ष सूरजमाल सिंह नीमराना ने हरियाली अमावस पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों मेंं गाय और पर्यावरण के महत्व को स्थापित किया है तो वहीं नागौर में वृक्ष मित्र पद्मश्री चौ. हिम्मताराम भांभू हरियाली अमावस जैसे अवसरों से आम जन की भागीदारी जोडक़र पर्यावरण की रक्षा में एक मिसाल बन गए हैं।
राजस्थान में समुदाय मेंं वृक्षों के प्रति श्रद्धा भाव बेमिसाल है। हरियाली अमावस पर लोग पीपल, बरगद, नींबू, तुलसी के पौधे रोपते हैं। स्थानीय लोगों का इस बात में अटल विश्वास है कि वृक्षों में देवताओं का वास होता है। वृक्षों के संरक्षण और अधिकाधिक वृक्ष लगाने से देवता प्रसन्न होते हैं और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।
प्रदेश की लोक संस्कृति में प्राचीन समय से ही पर्यावरण का अत्यंत महत्व है। हमेशा से पर्यावरण के महत्व और संरक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया जाता रहा है। आम जन पेड़ों और जीवों के साथ सह जीवन की परिकल्पना को साकार करता दिखाई देता है। हरियाली अमावस्या पर नदी-तालाब में स्नान, पितृ पूजा और देव पूजन के साथ-साथ पर्यावरण के महत्व को हमारे पूर्वजों ने जिस सोच के साथ जोड़ा है वह उनकी दूरदृष्टि का परिचायक है। जाहिर है कि हमारे पूर्वजों ने सदियों पहले ही पर्यावरण पर आने वाले संकट को भांप लिया था और इससे निपटने के तौर-तरीके भी बहुत पहले ही लोक जीवन में प्रचलित कर दिए। इन तौर-तरीकों को हम वृक्षों की पूजा, वृक्षारोपण, जल पूजन और जीव रक्षा के रूप में देखते हैं। पेड़-पौधों मेंं ईश्वर के वास की धारणा पर्यावरण के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com