हर साल मार्गशीष के महीने में आने वाली चतुर्थी तिथि को गणाधीप संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है, जो भगवान गणेश को समर्पित है. गणेश जी को विघ्नहर्ता के रूप में पूजा जाता है और माना जाता है कि इस व्रत को करने से सभी प्रकार के विघ्न दूर होते हैं. इस दिन गणेश जी की पूजा करने से सभी प्रकार के विघ्न दूर होते हैं और कार्य में सफलता मिलती है. गणेश जी को मनोकामनाओं का देवता भी माना जाता है. इस व्रत को करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं. भगवान गणेश बुद्धि और विवेक के देवता हैं. इस व्रत को करने से बुद्धि और विवेक का विकास होता है. उन्हे सुख-समृद्धि का देवता भी माना जाता है. इस व्रत को करने से घर में सुख-समृद्धि आती है.
गणाधिपा संकष्टी चतुर्थी पूजा का समय
हिंदू पंचांग के अनुसार चतुर्थी तिथि आज शाम को 06:55 पी एम बजे से प्रारंभ होगी जो कल नवम्बर 19, 2024 को 05:28 पी एम बजे तक रहेगी. गणाधिपा संकष्टी चतुर्थी की पूजा में चंद्र देव की पूजा का विशेष महत्व होता है इसलिए आज ही ये व्रत और पूजा की जाएगी.
गणाधिपा संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि
गणेश जी की मूर्ति या चित्र को स्नान कराकर साफ कपड़े पहनाएं. धूप, दीप, नैवेद्य, फूल, चंदन आदि. गणेश जी के मंत्रों का जाप करें, और अगर इस दिन व्रत रख रहे हैं तो शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करें. गणेश जी की कृपा से सभी प्रकार के विघ्न दूर हो जाएंगे. इस व्रत को करने से कार्य में सफलता मिलती है, मनोकामनाएं पूरी होती हैं और बुद्धि का विकास होता है. गणाधिपा संकष्टी चतुर्थी एक बहुत ही शुभ दिन है. इस दिन गणेश जी की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है.