इंस्टीट्यूट फॉर एनर्जी इकोनॉमिक्स एंड फाइनेंशियल एनालिसिस (आईईईएफए) और जेएमके रिसर्च एंड एनालिटिक्स के मुताबिक, इस बदलाव से भारत सौर उत्पादों का कुल आयातक से निर्यातक बन गया है।
भारत द्वारा किए जाने वाले सौर उत्पादों के निर्यात में बढ़ोतरी की वजह चीन प्लस वन की रणनीति होना है। इस कारण भारत अन्य देशों के लिए सौर उत्पाद आयात का एक अच्छा विकल्प बनकर उभरा है।
रिपोर्ट में बताया गया कि अमेरिका घरेलू सौर पीवी उत्पाद निर्यात के लिए सबसे बड़ा बाजार बनकर उभरा है। वित्त वर्ष 23 और वित्त वर्ष 24 दोनों में भारत के सौर पीवी उत्पादों के निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी 97 प्रतिशत रही है। घरेलू पीवी मैन्यूफैक्चरर्स अपने उत्पादों को विदेशों में उच्च प्रीमियम पर बेचना चाहते हैं।
आईईईएफए में दक्षिण एशिया के निदेशक, विभूति गर्ग ने कहा कि अमेरिकी बाजार पर फोकस होने से भारतीय पीवी मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम को सहारा मिलेगा। इससे घरेलू मैन्युफैक्चरर्स को उत्पादों को किफायती बनाने और प्रोडक्ट क्वालिटी बढ़ाने में मदद मिलेगी।
उन्होंने आगे कहा कि भारत को लंबी अवधि में एक वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने के लिए भारतीय सौर पीवी मैन्युफैक्चरर्स का ध्यान बैकवर्ड इंटीग्रेशन पर होना चाहिए। इससे भारत को यूरोप, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के बाजारों में बढ़त बनाने में मदद मिलेगी।
रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि वित्त वर्ष 2025 और वित्त वर्ष 2026 में भारतीय सौर पीवी मैन्युफैक्चरर्स द्वारा वार्षिक मॉड्यूल उत्पादन क्रमशः 28 गीगावाट और 35 गीगावाट रहने की उम्मीद है।
रिपोर्ट में इस बात पर भी जोर दिया गया कि घरेलू मांग को संतुलित करते हुए बहु-आयामी निर्यात-उन्मुख दृष्टिकोण अपनाना भारत के जलवायु लक्ष्यों के लिए भी अच्छा होगा।