वायनाड उपचुनाव 2024: क्या राहुल का रिकॉड तोड़ पाएंगी प्रियंका गांधी, इन मुद्दों पर घेर रहा विपक्ष

बीएस राय/ Wayanad By Election 2024: केरल की वायनाड लोकसभा सीट पर उपचुनाव होने जा रहे हैं, जो राज्य की राजनीति में अहम मोड़ का संकेत दे रहे हैं। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वायनाड सीट से चुनाव लड़ रही हैं, जहां उनका मुकाबला सीपीआई के सत्यन मोकेरी और बीजेपी की नव्या हरिदास से है। यह उपचुनाव इसलिए भी खास है क्योंकि प्रियंका गांधी ने अपने भाई राहुल गांधी की जगह ली है, जिन्होंने 2019 और 2024 के लोकसभा चुनावों में वायनाड सीट पर शानदार जीत दर्ज की थी। ऐसे में सवाल यह है कि क्या प्रियंका गांधी वायनाड में राहुल गांधी की जीत का रिकॉर्ड तोड़ पाएंगी?

राहुल का रिकॉर्ड तोड़ पाएंगी प्रियंका

वायनाड में राहुल गांधी की जीत का इतिहास राहुल गांधी ने 2019 में वायनाड सीट से चुनाव लड़ा था, जहां उन्हें 65% वोट मिले थे और उन्होंने 4,31,770 वोटों के बड़े अंतर से जीत हासिल की थी। उस चुनाव में उन्हें कुल 706,367 वोट मिले थे, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंदी सीपीआई के पीपी सुनीर को 274,597 वोट मिले थे। राहुल गांधी ने 2024 में भी इसी सीट से चुनाव लड़ा और 60% वोटों के साथ 3,64,422 वोटों से जीत हासिल की, हालांकि जीत का अंतर पहले से थोड़ा कम था। इन दोनों चुनावों में राहुल गांधी की जीत के आंकड़े वायनाड की राजनीतिक धारा को साबित करते हैं, लेकिन अब प्रियंका गांधी के लिए सवाल यह है कि क्या वह अपने भाई का इतिहास दोहरा पाएंगी या नहीं?

प्रियंका के आने के बाद वायनाड की राजनीति में हलचल

प्रियंका गांधी का चुनावी पदार्पण प्रियंका गांधी का वायनाड से चुनावी मैदान में उतरना कांग्रेस के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। पिछले दो दशकों से राजनीति में सक्रिय प्रियंका गांधी ने अभी तक राष्ट्रीय चुनावों में सीधे तौर पर हिस्सा नहीं लिया था। अब वायनाड से उनका चुनावी पदार्पण कांग्रेस के लिए राजनीतिक लिहाज से एक नया अध्याय बनने जा रहा है। प्रियंका के नामांकन के बाद से ही राज्य की राजनीति में हलचल मची हुई है। वायनाड से प्रियंका को मैदान में उतारकर कांग्रेस ने न सिर्फ दक्षिण भारत में अपनी राजनीतिक पकड़ मजबूत करने की कोशिश की है, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी की स्थिति को और मजबूत करने का दांव भी खेला है।

वायनाड में बन रहा स्थानीय बनाम बाहरी का मुद्दा

प्रियंका गांधी के खिलाफ चुनावी दांव प्रियंका गांधी की मुख्य चुनौती सीपीआई के सत्यन मोकेरी से है, जिन्होंने लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) के उम्मीदवार के तौर पर अपनी राजनीतिक ताकत दिखाने की पूरी कोशिश की है। मोकेरी ने मुद्दा उठाया कि अगर प्रियंका गांधी वायनाड जीत जाती हैं, तो वह इस इलाके में कम ही नजर आएंगी, क्योंकि यह उनके लिए बाहरी सीट होगी। स्थानीय बनाम बाहरी का यह मुद्दा कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती बन सकता है। इसके अलावा बीजेपी की नव्या हरिदास भी किस्मत आजमा रही हैं। हालांकि वायनाड में बीजेपी तीसरे नंबर पर आई है, लेकिन कांग्रेस को डर है कि अगर बीजेपी का वोट बैंक सीपीआई के पास चला गया, तो प्रियंका गांधी के लिए राहुल गांधी का रिकॉर्ड तोड़ना मुश्किल हो सकता है।

प्रियंका गांधी की राजनीतिक रणनीति

प्रियंका गांधी ने वायनाड में अपने चुनाव अभियान को सफल बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं। उनका लक्ष्य यहां 5 लाख से अधिक वोटों से जीत हासिल करना है। प्रियंका ने अपने चुनाव अभियान में स्थानीय मुद्दों को उठाने और मतदाताओं से सीधा संवाद स्थापित करने पर जोर दिया है। वह कहती हैं, “जो लोग कहते हैं कि मैं वायनाड नहीं आऊंगी, उन्हें यह जान लेना चाहिए कि मैं जितना यहां रहूंगी, उतना ही काम करूंगी।” प्रियंका गांधी का यह बयान उनकी चुनावी निष्ठा और वायनाड के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इसके अलावा राहुल गांधी ने भी प्रियंका गांधी के पक्ष में प्रचार किया और कहा कि उनकी बहन उनसे बेहतर सांसद साबित होंगी। राहुल गांधी का यह बयान प्रियंका की राजनीतिक क्षमता को बढ़ावा देने और कांग्रेस कार्यकर्ताओं में उत्साह भरने का काम करता है।

क्या प्रियंका गांधी राहुल गांधी का रिकॉर्ड तोड़ पाएंगी?

प्रियंका गांधी के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि क्या वह अपने भाई राहुल गांधी की जीत का रिकॉर्ड तोड़ पाएंगी। वायनाड सीट कांग्रेस के लिए सुरक्षित सीट मानी जाती है, लेकिन लेफ्ट और बीजेपी भी पूरी ताकत लगा रही है। सबकी निगाहें प्रियंका की रणनीति पर टिकी हैं। क्या वह वायनाड के चुनावी समीकरणों को सही ढंग से समझकर जीत हासिल कर पाएंगी, यह सवाल इस उपचुनाव में अहम हो गया है।

वायनाड का उपचुनाव प्रियंका के लिए कड़ी चुनौती

वायनाड का उपचुनाव प्रियंका गांधी के लिए भले ही कड़ी चुनौती हो, लेकिन उनके पास राजनीतिक अनुभव और कांग्रेस का मजबूत समर्थन है। इस सीट पर कांग्रेस की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है और प्रियंका गांधी का राजनीतिक सफर अब नई दिशा में बढ़ने की संभावना है। वहीं, सीपीआई और बीजेपी के उम्मीदवार भी किसी से पीछे नहीं हैं, जिससे मुकाबला दिलचस्प और रोमांचक हो गया है।

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