25 प्रतिशत भारतीय वैरिकोज वेन्स से पीड़ित: स्वास्थ्य विशेषज्ञ

हैदराबाद। प्रमुख राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि भारत की लगभग 25 प्रतिशत आबादी वैरिकोज वेन्स से पीड़ित है। ये एक ऐसी हेल्थ कंडीशन है जिसे आमतौर पर भारत में नजरअंदाज कर दिया जाता है हालांकि इसका इलाज बिना चीर फाड़ (सर्जरी) के भी संभव है।

उनका मानना ​​है कि गैर-सर्जिकल उपचार विधियों में हालिया प्रगति से वैस्कुलर केयर को लेकर सोच में बदलाव आया है। अब दूरदराज के क्षेत्रों में भी उच्च गुणवत्ता वाले उपचारों तक पहुंच संभव हो रही है।

एविस हॉस्पिटल्स द्वारा आयोजित इंडियन वेन कांग्रेस (आईवीसी) 2024 में पूरे भारत से 100 से अधिक चिकित्सा पेशेवरों ने भाग लिया। ब्राजील के विशेषज्ञों ने वर्चुअली भाग लिया।

इसका नेतृत्व एविस हॉस्पिटल्स के संस्थापक और प्रसिद्ध वैस्कुलर इंटरवेंशनल विशेषज्ञ डॉ. राजा वी. कोप्पला ने किया।

आईवीसी ने लेजर उपचार और अन्य नवीन दृष्टिकोणों जैसे गैर-सर्जिकल समाधानों में सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने पर ध्यान केंद्रित किया।

डॉ. कोप्पला ने इस बात पर प्रकाश डाला कि एविस हॉस्पिटल्स ने पिछले आठ वर्षों में गैर-सर्जिकल तरीकों का उपयोग करके 40,000 से अधिक रोगियों का सफलतापूर्वक इलाज किया है। उन्होंने सलाह दी कि बेहतर इलाज के लिए जरूरी है कि इस क्षेत्र में हो रही प्रगति पर नजर रखी जाए।

इस कार्यक्रम में डॉ. रोड्रिगो गोम्स, डी ओलिवेरा और डॉ. फर्नांडो ट्रेस सिल्वेरा सहित अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों की राय शामिल थी, जिन्होंने वैस्कुलर और इंटरवेंशनल रेडियोलॉजिस्ट में वैश्विक रुझानों और चुनौतियों पर अपडेट साझा किए।

चर्चाओं ने रेखांकित किया कि गैर-सर्जिकल तरीके अत्यधिक प्रभावी हो सकते हैं, लेकिन ऐसे मामले हैं जहां सर्जिकल हस्तक्षेप आवश्यक है। भारतीय विशेषज्ञों ने अंतर्राष्ट्रीय सहयोगियों के साथ बातचीत की, उन्नत उपचारों और जटिल मामलों के लिए निर्णय लेने पर ज्ञान का आदान-प्रदान किया।

प्रतिभागियों ने विभिन्न उपचार विकल्पों के बारे में व्यावहारिक जानकारी प्राप्त की। जिसमें वरिष्ठ विशेषज्ञों ने बताया कि विभिन्न स्थितियों के लिए कौन सी विधियां सबसे प्रभावी हैं। कांग्रेस ने वैरिकोज नसों के उपचार को बेहतर बनाने के लिए निरंतर सीखने और नई तकनीकों को अपनाने के महत्व को प्रदर्शित किया।

डॉ. कोप्पला ने कहा कि हैदराबाद में शीर्ष वैस्कुलर विशेषज्ञों की भागीदारी और यहां साझा किए गए ज्ञान से देश भर के चिकित्सकों को लाभ होगा।

उन्होंने कहा, यह कांग्रेस केवल जानकारी साझा करने के बारे में नहीं है, बल्कि भारत में चिकित्सा पद्धति के भविष्य को आकार देने के बारे में है। मेरा मानना है कि गैर-सर्जिकल उपचारों के वैश्विक स्तर पर लोकप्रिय होने के साथ, हमारे स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों को इन विधियों को अपने अभ्यास में एकीकृत करना चाहिए।

वैस्कुलर सर्जन डॉ. रॉय वर्गीस ने जोर दिया: क्रोनिक वेनस डिजीज से भारत की 20-35 प्रतिशत आबादी है। एंडोवैस्कुलर प्रक्रियाओं ने उपचार को सरल बना दिया है, जिससे दर्द रहित, डे-केयर की सुविधा उपलब्ध होती है।

इस कार्यक्रम में मेडट्रॉनिक जैसी प्रमुख चिकित्सा प्रौद्योगिकी कंपनियों ने भी हिस्सा लिया। जिन्होंने अत्याधुनिक उपकरणों को प्रदर्शित किया।

 

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