झारखंड की सरकार ने हाईकोर्ट के इसी फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस ए. अमानुल्ला की बेंच ने इस मामले में केंद्र सरकार को पक्ष रखने काे कहा है और मामले की सुनवाई तीन दिसंबर तय की है।
झारखंड हाईकोर्ट ने अपने आदेश में फैक्ट फाइंडिंग कमेटी के लिए राज्य सरकार को दो अधिकारियों का नाम सुझाने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के इस आदेश पर अगले दो हफ्ते तक रोक लगाने का आदेश दिया है। इसके पहले सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने जोर देकर कहा था कि झारखंड सीमावर्ती राज्य नहीं है। हाईकोर्ट का आदेश राज्य में हो रहे विधानसभा चुनावों में भाषणों का विषय बन गया है।
उन्होंने कहा था कि केंद्र सरकार ने झारखंड में घुसपैठ का जो दावा किया है, वह आंकड़ों पर आधारित नहीं है। ऐसे में फैक्ट फाइंडिंग कमेटी के गठन का हाईकोर्ट का आदेश अवैध प्रवास के मुद्दे से निपटने की राज्य सरकार की स्वायत्तता और शक्ति में हस्तक्षेप होगा। राज्य सरकार के पास इस समस्या से निपटने के लिए कानून के तहत स्वतंत्र अधिकार हैं।
सिब्बल ने झारखंड हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध किया था। बांग्लादेशी घुसपैठ के मुद्दे पर झारखंड हाईकोर्ट में जमशेदपुर निवासी दानियल दानिश ने जनहित याचिका दायर की थी। याचिका में गोड्डा, जामताड़ा, पाकुड़, दुमका, साहिबगंज और देवघर जिले में बड़े पैमाने पर अवैध प्रवास और घुसपैठ का आरोप लगाया गया था।
इस पर हाईकोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा था कि संथाल परगना समेत झारखंड के कई इलाकों में आबादी का संतुलन बिगड़ा है। बांग्लादेशी घुसपैठ इसकी वजह हो सकती है। केंद्र ने यह भी बताया था कि कभी आदिवासी बहुल रहे इलाकों में मुस्लिम समुदाय के लोगों को बड़े पैमाने पर गिफ्ट डीड के जरिए जमीन मिल रही है। इस पर हाई कोर्ट ने मामले से जुड़े तथ्यों की पड़ताल की जरूरत बताई थी और इसके लिए केंद्र एवं राज्य की फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बनाने का आदेश दिया था।