कोलकाता। भारतीय संचार परंपरा के मर्मज्ञ विद्वान, जाने माने लेखक और विश्वभारती विश्वविद्यालय, शांतिनिकेतन के वरिष्ठ आचार्य प्रो. विप्लव लोहो चौधरी ने कहा है कि भारत को भारत की नजर से देखने की जरूरत है। प्रो. चौधरी आज भवानीपुर एजुकेशन सोसाइटी कॉलेज में “भारतवर्षीय संचार परंपरा: प्रागैतिहासिक काल से नई सहस्राब्दी तक” विषय पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भारत में वैदिक काल में संचार का जो प्रयोग हो रहा था, उसकी धारावाहिकता का प्रमाण मूल वासियों के भीमबेटका की चित्र कृतियों से लेकर सिंधु घाटी तक मिलता है। प्रो. लोहो चौधरी ने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता का सकारात्मक प्रयोग होना चाहिए। भारत की प्राचीन संचार परंपरा पवित्र और अनूठी है। हमें अविलंब उसे ध्यान में रखते हुए ही पाठ्यक्रम बनाने होंगे।
प्रो. लोहो चौधरी ने भारतीय संचार कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में यह व्याख्यान दिया। उद्घाटन सत्र को सर्वश्री केजी सुरेश, वीके रवि, कलिंग सेनाभीरत्ने, केवी नागराज, उपेन्द्र पाढ़ी, शुभब्रत गांगुली और देवजानी गांगुली ने संबोधित किया। संगोष्ठी में देश विदेश के 30 विद्वान और शताधिक शोधार्थी हिस्सा ले रहे हैं।