संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत 25 नवंबर से 20 तक होने वाली है। उम्मीद जताई जा रही है कि इसमें सरकार वन नेशन-वन इलेक्शन और वक्फ विधेयक बिल पेश कर सकती है। इस मुद्दे पर मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि तर्कों की कमी, कुतर्कों का तमाशा बन जाती है। वक्फ बिल और वन नेशन-वन इलेक्शन में तर्कों की कंगाली ने उनको तमाशों का मवाली बना दिया है। बिना तर्क और तथ्य से वे लोग हाहाकार और हंगामा करने में लगे हुए हैं।
उन्होंने आगे कहा कि जहां तक वक्फ का सवाल है, इस सिस्टम को छुई-मुई बनाने की जो सोच और सियासत है, इससे उनको बाहर आना चाहिए। ऐसा नहीं है कि वक्फ को छूने से वो मिट जाएगा, इसमें एक संवैधानिक सुधार की बात है, जो समाज और सिस्टम के लिए जरूरी है। ऐसे में सामाजिक सुधार पर अगर कोई साम्प्रदायिक हमला कर रहा है, तो वो न तो समाज का भला कर रहा है और न ही सिस्टम का।
यूपी मदरसा एक्ट 2004 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने असंवैधानिक ठहराया था, जिसको सुप्रीम कोर्ट के सीजेआई, जस्टिस चंद्रचूड़ की बेंच ने संवैधानिक बताया है। इस पर भाजपा नेता ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला मदरसों के लिए भी सबक और संदेश है। यह सुधार का सबक और संदेश है। मदरसे की सिस्टम को फॉर्मल एजुकेशन और कौशल से जोड़ने की जरूरत है। कुछ मदरसे इस दिशा में काम कर रहे हैं और इस फैसले के बाद मदरसों को बहुत ही संवेदनशीलता के साथ आगे बढ़ने की जरूरत है।
महाराष्ट्र चुनाव के लिए महाविकास अघाड़ी की तरफ से घोषणा पत्र जारी करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि एमवीए के मेनिफेस्टो आएंगे, उसमें वो बड़े-बड़े वादे करते दिखाई देंगे। लेकिन उनको भी यह बात पता है कि वो जो सपना देख रहे हैं, वो जल्द ही साफ हो जाएंगे। उनके दल में मतभेद है, जिसको ठीक करने की जरूरत है।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया तथाकथित एमयूडीए घोटाला मामले में लोकायुक्त के सामने पेश हो रहे हैं, इस पर भाजपा नेता ने कहा कि कानून अपना काम करेगा। कानून की नजर में जो दोषी है, उस पर कानूनी प्रक्रिया के तहत पारदर्शी तरीके से कार्रवाई होगी।