लखनऊ। योगी सरकार ने गरीब और मेधावी विद्यार्थियों के लिए शिक्षा के अवसरों में उल्लेखनीय वृद्धि की है। प्रदेश में समाज कल्याण एवं जनजातीय विकास विभाग द्वारा संचालित जय प्रकाश नारायण सर्वोदय विद्यालयों की संख्या 94 से बढ़कर 100 हो गई है। इन विद्यालयों में जरूरतमंद छात्रों के लिए उच्च गुणवत्ता वाली आवासीय निःशुल्क शिक्षा के साथ-साथ नि:शुल्क छात्रावास, पाठ्य सामग्री और यूनिफॉर्म की सुविधा भी प्रदान की जा रही है। इस कदम से न केवल गरीब वर्ग के छात्रों का भविष्य संवर रहा है बल्कि उनके जीवन में स्थायित्व और सामाजिक समृद्धि का रास्ता भी खुल रहा है।
समाज के सभी वर्गों को समाहित करने की पहल
जय प्रकाश नारायण सर्वोदय विद्यालयों में 60 प्रतिशत स्थान अनुसूचित जाति एवं जनजाति के छात्रों के लिए, 25 प्रतिशत अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्रों के लिए, और 15 प्रतिशत सामान्य वर्ग के छात्रों के लिए आरक्षित है। इस समावेशी नीति के चलते सभी वर्गों के गरीब परिवारों के बच्चों को समान अवसर मिल पा रहे हैं। बालक एवं बालिकाओं के लिए अलग-अलग विद्यालयों की व्यवस्था की गई है ताकि उन्हें सुरक्षित और प्रभावशाली माहौल में अपनी पढ़ाई करने का मौका मिले। वर्तमान में 58 जिलों में कुल 100 सर्वोदय विद्यालय संचालित हो रहे हैं, जिसमें 31 सर्वोदय बालिका विद्यालय और 69 सर्वोदय बालक विद्यालय शामिल हैं। इनमें से 45 विद्यालयों में आवासीय सुविधाओं का विस्तार भी किया जा रहा है।
सर्वोदय विद्यालय की छात्राओं को NEET, JEE की तैयारी के लिए निःशुल्क कोचिंग की सुविधा
गरीब छात्राओं का डॉक्टर और इंजीनियर बनने का सपना अब योगी सरकार के प्रयास से साकार हो रहा है। प्रदेश के सर्वोदय विद्यालयों में पढ़ने वाली प्रतिभावान छात्राओं को अब नीट (NEET) और जेईई (JEE) की निःशुल्क कोचिंग दी जा रही है। इसके तहत मिर्जापुर जिले के मडिहान में विशेष रूप से एक कोचिंग सेंटर की शुरुआत की गई है, जहां 40 मेधावी छात्राओं को निःशुल्क कोचिंग की सुविधा दी जा रही है।
शिक्षा के साथ सर्वांगीण विकास पर सीएम योगी का फोकस
सर्वोदय विद्यालयों में छात्रों को केवल शिक्षा ही नहीं बल्कि पाठ्य सामग्री, यूनिफार्म, और खेल-कूद की पूरी व्यवस्था भी योगी सरकार द्वारा नि:शुल्क मुहैया कराई जा रही है। इस व्यवस्था का उद्देश्य छात्रों को न केवल शैक्षिक बल्कि शारीरिक और मानसिक रूप से भी सशक्त बनाना है। इन विद्यालयों में राज्य सरकार की सेवा से सेवानिवृत 570 शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया भी की जा रही है ताकि उच्च गुणवत्ता की शिक्षा छात्रों को प्रदान की जा सके। इन शिक्षकों में जो टीजीटी (प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक) कक्षा 6 से 10 तक पढ़ाते हैं उनके लिए मानदेय 34,125 रुपये और पीजीटी (पोस्ट ग्रेजुएट टीचर) कक्षा 11 से 12 तक पढ़ाते हैं उनके लिए 35,700 रुपये का मानदेय निर्धारित किया गया है।
योगी सरकार प्रयासों के फलस्वरूप बढ़ी लाभार्थियों की संख्या
पिछले कुछ वर्षों में सरकार की इस योजना के चलते लाभार्थी छात्रों की संख्या में साल दर साल बढ़ोत्तरी हुई है। वर्ष 2018-19 में जहाँ यह संख्या 32,429 थी, वहीं 2024-25 में यह बढ़कर 35,000 से अधिक हो चुकी है। प्रदेश में सर्वोदय आवासीय विद्यालयों की संख्या अब 100 तक पहुँच गई है, जिसमें हाल ही में छह नए विद्यालय खोले गए हैं। इसके साथ ही, योगी सरकार का उद्देश्य है कि निर्धन वर्ग के अधिकाधिक बच्चे इस आवासीय शिक्षा व्यवस्था का लाभ उठा सकें।
वर्ष लाभार्थी छात्रों की संख्या
2018-19 32,429
2019-20 32,466
2020-21 33,388
2021-22 35,068
2022-23 35,089
2023-24 33,253
2024-25 35,000 से अधिक
मुख्यमंत्री योगी का संकल्प: हर निर्धन बच्चे को मिले शिक्षा का अधिकार
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशानुरूप गरीब और वंचित वर्ग के होनहार बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए सर्वोदय विद्यालय एक महत्वपूर्ण माध्यम है। सीएम योगी का उद्देश्य है कि समाज के निर्धन वर्ग के बच्चों को आर्थिक कठिनाइयों के कारण पढ़ाई से वंचित न रहना पड़े। इन आवासीय विद्यालयों के माध्यम से ऐसे छात्रों के लिए एक सशक्त प्लेटफॉर्म तैयार किया गया है, जहाँ वे नि:शुल्क आवास, भोजन, और अन्य शैक्षणिक संसाधनों के साथ पढ़ाई कर सकते हैं। मुख्यमंत्री का मानना है कि हर बच्चा अपनी मेहनत से समाज में कुछ हासिल कर सकता है यदि उसे सही अवसर और संसाधन उपलब्ध कराए जाएं। ऐसे में सरकार का लक्ष्य है कि अधिक से अधिक गरीब छात्रों को शिक्षा के इस मंच तक पहुँचाया जाए। इसके लिए राज्य सरकार ने न केवल नए विद्यालय खोलने पर ध्यान दिया है, बल्कि इन विद्यालयों की सुविधाओं को भी व्यापक बनाया है।
भविष्य में और बढ़ेंगे सर्वोदय विद्यालय
सरकार की योजना है कि आने वाले समय में सर्वोदय विद्यालयों की संख्या और भी बढ़ाई जाए ताकि प्रदेश के हर कोने में वंचित वर्ग के बच्चे अच्छी शिक्षा का लाभ उठा सकें। इस दिशा में राज्य सरकार द्वारा ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के हर ज़िले में सर्वोदय विद्यालयों की स्थापना का लक्ष्य रखा गया है, ताकि गरीब बच्चों को शिक्षा के लिए दूर न जाना पड़े। इस प्रकार की समावेशी और निःशुल्क शिक्षा व्यवस्था से राज्य में न केवल शिक्षा के क्षेत्र में सुधार हो रहा है, बल्कि प्रदेश के समग्र विकास में भी यह अहम भूमिका निभा रही है।
समावेशी शिक्षा से समाज में सकारात्मक बदलाव की उम्मीद
सरकार की इस योजना का उद्देश्य केवल शिक्षा तक सीमित नहीं है बल्कि यह योजना सामाजिक विकास के लिए भी एक बड़ा कदम है। समाज के विभिन्न वर्गों से आने वाले छात्र एक ही मंच पर शिक्षा प्राप्त करते हैं, जिससे उनके बीच एकता और सामंजस्य बढ़ता है। सरकार की इस पहल से न केवल समाज में शिक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ी है, बल्कि एकजुटता और सहयोग की भावना को भी बल मिला है। योगी सरकार की यह पहल गरीब और होनहार विद्यार्थियों के लिए एक नई उम्मीद की किरण है। सर्वोदय विद्यालयों के माध्यम से नि:शुल्क शिक्षा, आवास, और आवश्यक संसाधनों की सुविधा देकर राज्य सरकार ने इन बच्चों के जीवन में स्थायित्व और सुरक्षा का वातावरण तैयार किया है। इससे न केवल उनकी शैक्षिक उन्नति हो रही है बल्कि उनके संपूर्ण व्यक्तित्व का भी विकास हो रहा है।