चीन म्यांमार की लगातार सैन्य मदद कर रहा है. बावजूद इसके उसकी कई मुद्दों पर म्यांमार को लेकर चिंता कम नहीं हो रही. फिर चाहे म्यांमार की रूस के साथ नजदीकी हो या फिर ऑनलाइन ठगी.
म्यांमार को सैन्य सहयोग दे रहा चीन
इन लड़ाकू विमानों का आना, म्यांमार के जुंटा और चीन के बीच बढ़ते सैन्य सहयोग को साफ तौर पर दिखाता है. इससे पहले, चीनी विदेश मंत्री वांग यी और म्यांमार के नेता मिन आंग ह्लाइंग के बीच कई बार बातचीत हुई थी, और चीन ने कई मौकों पर जुंटा का समर्थन किया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन म्यांमार की सेना को हथियार और गोला-बारूद दे रहा है, जिसमें ड्रोन भी शामिल हैं, जिनका इस्तेमाल सेना जातीय समूहों के खिलाफ कर रही है. जुंटा के उपनेता सो विन चीन के दौरे पर हैं, जहां वे और हथियार हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं. चीनी हथियारों की होड़ से म्यांमार में जातीय संघर्ष के बढ़ने और हिंसा के आसार और प्रबल दिखाई देते हैं.
उत्तरी शान राज्य में म्यांमार की सेना को नुकसान
उत्तरी शान राज्य में चल रहे संघर्ष से म्यांमार की सेना को भारी नुकसान हुआ है, जिसमें कस्बों और चीन के साथ व्यापारिक रास्तों पर नियंत्रण खोना भी शामिल है. म्यांमार में चीन के निवेश मुख्य रूप से बड़े-बड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स, जैसे म्यित्सोन बांध और क्याउकफ्यू गहरे समुद्री बंदरगाह पर केंद्रित हैं. लेकिन राजनीतिक अस्थिरता और चल रहे संघर्ष ने इन निवेशों और व्यापार पर बुरा असर डाला है. कोविड-19 के बाद चीन की खुद की आर्थिक स्थिति कमजोर होने से इन प्रोजेक्ट्स पर भी असर पड़ा है, खासकर उन योजनाओं पर जो बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव से जुड़ी हैं.
ऑनलाइन ठगी ने बढ़ाई चीन की चिंता
इसके अलावा, म्यांमार में बढ़ते ऑनलाइन ठगी के मामलों से चीन की सुरक्षा चिंताएं भी बढ़ रही हैं. चीनी अपराधी गिरोहों द्वारा चलाए जा रहे ठगी केंद्रों में चीनी नागरिकों को फंसाया जा रहा है. ये ठगी 2023 में म्यांमार की जीडीपी का लगभग 25% कमा चुकी है, जिससे चीन ने म्यांमार की सेना पर इन केंद्रों को बंद करने का दबाव डाला है.
रूस की नजदीकी से बढ़ी चीन की चिंता
म्यांमार में 2025 के चुनावों को लेकर चीन की नीति उसकी सरकार-केंद्रित कूटनीति को दर्शाती है. चुनावों की घोषणा के बाद, चीन ने म्यांमार के चुनाव आयोग से संपर्क किया और पूर्व राष्ट्रपति यू थेन सीन समेत कई राजनीतिक हस्तियों को आमंत्रित किया. हालांकि, चीन म्यांमार के नेता मिन आंग ह्लाइंग के रूस के साथ बढ़ते संबंधों को लेकर चिंतित है, क्योंकि इससे म्यांमार की चीन पर निर्भरता कम हो सकती है.
बता दें कि म्यांमार में चल रहे गृहयुद्ध के बीच, चीन सबसे प्रभावशाली बाहरी ताकत बना रहेगा, लेकिन वह किसी भी पक्ष का खुलकर समर्थन नहीं करेगा. चीन की मुख्य चिंता आर्थिक है, और वह मानता है कि वह किसी भी सत्ता में मौजूद सरकार के साथ व्यापार कर सकता है. हालांकि, अगर भविष्य में चीन ने प्रतिरोधी ताकतों को मान्यता दी, तो इससे म्यांमार के साथ उसके संबंधों में बड़ा बदलाव आ सकता है, जो क्षेत्र में उसकी प्राथमिकताओं को भी बदल सकता है.