भारत-कनाडा तनाव में भारत ने कनाडाई प्रधानमंत्री ट्रूडो पर भारत विरोधी राजनीति और आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप का आरोप लगाते हुए उनके दावों को निराधार और राजनीति प्रेरित बताया है.
भारत और कनाडा के बीच कूटनीतिक तनाव बढ़ता जा रहा है. हाल ही में कनाडा सरकार द्वारा भारतीय उच्चायुक्त और अन्य राजनयिकों को ‘जांच के तहत संदिग्ध’ बताने के बाद भारत सरकार ने इसे सख्ती से खारिज कर दिया है. भारत ने इसे कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की वोट बैंक राजनीति का हिस्सा बताया है और इस पूरे मामले को राजनीतिक मंशा से प्रेरित कहा है. भारत सरकार ने इन आरोपों को निराधार और अपमानजनक बताते हुए कनाडा सरकार की मंशा पर गंभीर सवाल उठाए हैं.
जानें क्या है पूरा मामला?
आपको बता दें कि कनाडा से आए एक कूटनीतिक संवाद में भारतीय उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा और अन्य भारतीय राजनयिकों को एक जांच के सिलसिले में ‘संदिग्ध व्यक्तियों’ के रूप में नामित किया गया. इस जांच के पीछे का उद्देश्य स्पष्ट नहीं है, लेकिन यह आरोप सितंबर 2023 में प्रधानमंत्री ट्रूडो द्वारा भारत पर लगाए गए अजीबोगरीब आरोपों की एक कड़ी प्रतीत होती है. कनाडाई सरकार का आरोप है कि भारत इस मामले में किसी न किसी रूप में शामिल है, लेकिन कनाडा द्वारा इस तरह के आरोपों का कोई ठोस प्रमाण भारत को नहीं सौंपा गया है.
ट्रूडो की राजनीति पर भारत का रुख
वहीं आपको बता दें कि भारत सरकार का मानना है कि ट्रूडो की सरकार वोट बैंक की राजनीति के तहत यह कदम उठा रही है. कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो पहले भी भारत विरोधी बयान दे चुके हैं और उनकी सरकार में कुछ ऐसे लोग शामिल हैं जो खुलेआम भारत के खिलाफ अलगाववादी और उग्रवादी एजेंडा का समर्थन करते रहे हैं. यह 2018 में उनके भारत दौरे के समय भी स्पष्ट हो चुका था, जब उनका यह दौरा उनके लिए असहज स्थिति में बदल गया था.
साथ ही आपको बताते चले कि भारत ने कहा कि ट्रूडो की सरकार का झुकाव एक विशेष राजनीतिक पार्टी की ओर है, जिसका नेता भारत के खिलाफ अलगाववादी विचारधारा का समर्थन करता है. इस राजनीतिक पार्टी के समर्थन के बिना ट्रूडो की सरकार अस्थिर हो सकती है, इसलिए वह इस मुद्दे का उपयोग अपनी राजनीतिक स्थिरता बनाए रखने के लिए कर रहे हैं. कनाडा में हो रहे विदेशी हस्तक्षेप की जांच से बचने के लिए, ट्रूडो सरकार ने जानबूझकर भारत को निशाना बनाया है ताकि वे अपनी घरेलू आलोचना से ध्यान हटा सकें.
भारत का आरोप – ‘विरोधियों को संरक्षण दे रहा कनाडा’
इसके साथ ही बता दें कि भारत ने यह भी आरोप लगाया है कि कनाडा की सरकार ने जानबूझकर उग्रवादियों और आतंकवादियों को राजनीतिक शरण दी है, जो भारतीय राजनयिकों और समुदाय के नेताओं को धमकाते और डराते हैं. कई आतंकवादी और संगठित अपराध के नेता, जिनकी भारत सरकार ने प्रत्यर्पण की मांग की है, कनाडा में सुरक्षित शरण ले रहे हैं और उनकी गतिविधियों को वहां की सरकार अनदेखा कर रही है. इस प्रकार की गतिविधियों को ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ के नाम पर जायज़ ठहराया जा रहा है, जिससे भारत और कनाडा के बीच संबंध और तनावपूर्ण हो रहे हैं.
भारतीय उच्चायुक्त पर लगाए गए आरोप पर भारत का रिएक्शन
इसके अलावा आपको बता दें कि भारतीय उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा, जिनका राजनयिक करियर 36 साल का है और उनके खिलाफ लगे आरोपों को भारत सरकार ने पूरी तरह से बेतुका और अपमानजनक करार दिया है. वर्मा, जिन्होंने जापान और सूडान में भारत के राजदूत के रूप में भी सेवा दी है पर लगाए गए आरोपों को भारत ने ‘नीच राजनीतिक साजिश’ करार दिया है और कहा है कि कनाडा का यह कदम भारत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर बदनाम करने की कोशिश है.
भारत ने कूटनीतिक पर प्रतिक्रिया के साथ दी चेतावनी
इसके साथ ही आपको बता दें कि भारत ने कनाडा के उच्चायोग की गतिविधियों को भी ध्यान में रखते हुए कूटनीतिक जवाबी कार्रवाई की है. भारत ने कनाडाई सरकार के इन आरोपों का सख्त जवाब देने का अधिकार सुरक्षित रखा है और संकेत दिया है कि भविष्य में और भी कड़े कदम उठाए जा सकते हैं. भारत ने कूटनीतिक प्रतिनिधित्व में समानता के सिद्धांत को लागू करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिससे कनाडा को भी कूटनीतिक स्तर पर गंभीर नुकसान हो सकता है.
बहरहाल, कनाडा और भारत के बीच कूटनीतिक तनाव का यह नया चरण दोनों देशों के संबंधों पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है. भारत ने कनाडा की इस कार्रवाई को ट्रूडो की राजनीतिक मंशा का हिस्सा बताया है, जबकि कनाडा की सरकार इस मामले को अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के तहत देख रही है. अब यह देखना बाकी है कि आने वाले दिनों में दोनों देश किस प्रकार से इस तनाव को संभालते हैं और कूटनीतिक संबंधों में सुधार लाते हैं.