देवी लक्ष्मी द्वारा भगवान विष्णु के चरण दबाने का अर्थ
देवी लक्ष्मी का भगवान विष्णु के चरणों की सेवा करना उनके आपसी संबंध और समर्पण को दिखाता है. यह एक प्रतीकात्मक चित्रण है, जो यह दर्शाता है कि समृद्धि और वैभव तब तक सार्थक नहीं होते जब तक उनका उपयोग धर्म और सत्य के मार्ग पर नहीं किया जाता. भगवान विष्णु सृष्टि के पालनहार हैं और लक्ष्मी जी के बिना उनकी शक्ति अधूरी है. यह संदेश देता है कि जब धन का उपयोग सही दिशा में किया जाता है तभी वह जीवन में सुख और शांति लाता है.
श्रीमद्भागवत, विष्णु पुराण और अन्य शास्त्रों में लक्ष्मी जी को विष्णुप्रिया कहा गया है, यानी विष्णु की प्रिय पत्नी. उनका भगवान विष्णु के चरणों की सेवा करना दर्शाता है कि वैभव को सदैव धर्म और न्याय के अधीन होना चाहिए. विष्णु का धर्मरूप और लक्ष्मी का वैभवरूप दोनों मिलकर ही सृष्टि का सही संचालन कर सकते हैं.
पति के पैर दबाने से होती है धनवर्षा?
कुछ मान्यताओं में यह कहा जाता है कि अगर पत्नी अपने पति के पैर दबाती है, तो इससे धन की वर्षा होती है. शास्त्रों के जानकारों की मानें को अगर कोई पत्नी लगातार 41 दिनों तक अपने पति के पैर रात को सोने से पहले दबाती है तो उसके जीवन में कभी धन की कमी नहीं होती. इतना ही नहीं उसका पति भी अपने पत्नी की किस्मत से और धनवान होने लगता है. अगर आप ये छोटा सा उपाय करती हैं तो इससे आपके वैवाहिक जीवन में आर्थिक समृद्धि भी आती है. वैसे आपको बता दें कि धन और समृद्धि केवल किसी विशेष क्रिया से नहीं आती बल्कि उसके लिए परिश्रम, सदाचार, और धर्म के मार्ग पर चलना पड़ता है. शास्त्रों में यह कहीं नहीं कहा गया है कि पति के पैर दबाने से धन की वर्षा होती है. असली समृद्धि तब आती है जब घर में आपसी प्रेम, सहयोग और समर्पण होता है.
देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु के संबंध का उद्देश्य यह है कि वैभव और धर्म को एक साथ चलाया जाए. देवी लक्ष्मी का विष्णु के चरण दबाना उनकी सेवा और समर्पण यह बताता है कि जब धन धर्म के साथ जुड़ा होता है तब ही वह फलदायी होता है. असली धन और समृद्धि तब आती है जब परिवार में आपसी प्रेम, सम्मान और धार्मिक मूल्यों का पालन होता है.