लखनऊ : ‘इंफैन्ट्री दिवस’ के अवसर पर शनिवार को अपनी मातृभूमि की रक्षा में निःस्वार्थ त्याग एवं सर्वोच्च वीरतापूर्ण बलिदान के लिए इंफैन्ट्री के जांबाज शहीद सैनिकों को नमन किया गया। 27 अक्टूबर को स्वतंत्रता के बाद जम्मू एवं कश्मीर में इंफैन्ट्री के नेतृत्व में की गई पहली सैन्य कार्रवाई की याद में भारतीय सेना द्वारा ‘इंफैन्ट्री दिवस’ मनाया जाता है। आज के दिन की शुरूआत मध्य कमान के सेनाध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल अभय कृष्णा द्वारा लखनऊ छावनी स्थित मध्य कमान के युद्ध स्मारक ‘स्मृतिका’ पर माल्यार्पण के साथ हुई। इस अवसर पर भूतपूर्व सैनिक सहित सेना के सेवारत वरिष्ठ सैन्यधिकारियों ने मध्य कमान के युद्ध स्मारक ‘स्मृतिका’ पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन जाबांज शहीद सैनिकों की याद किया जिन्होंने देश की रक्षा में अपना सर्वोच्च बलिदान दिया था। भारतीय सेना की सच्ची परंपरा के अनुरूप वीर शहीदों की अटल जीत बड़े उत्साह और उल्लास के साथ मनाई गई। इस अवसर पर इंफैन्ट्री के सेवारत एवं सेवानिवृत सैनिकों ने मेल-मिलाप के जरिए जाबांज शहीदों की गाथा को याद की।
वर्ष 1947 के अक्टूबर में कबीली सैनिकों एवं नवगठित पाकिस्तानी सेना द्वारा जम्मू एवं कश्मीर पर आक्रमण कर दिया गया। 27 अक्टूबर 1947 को आक्रमणकारियों से घाटी को मुक्त कराने के लिए सिख रेजिमेन्ट की प्रथम बटालियन श्रीनगर एयर फील्ड पर उतरी तथा पाकिस्तानी दुश्मनों से कश्मीर घाटी को मुक्त कराया। भारतीय सेना के इतिहास में इस घटना को दर्ज हुए 71 वर्ष बीत चुके हैं तब से इंफैन्ट्री जिसे ‘युद्ध की रानी’ के नाम से भी जाना जाता है इस दिन को ‘इंफैन्ट्री दिवस’ के रूप में मनाती रही है। वर्ष 1965 और 1971 युद्ध में इंफैन्ट्री ने अपनी अहम भूमिका निभाते हुए पाकिस्तान पर जीत हासिल की थी। वर्ष 1999 में कारगिल युद्ध में भी इंफैन्ट्री के सैन्य अधिकारियों एवं जवानों ने दुर्गम एवं विपरीत परिस्थितियों में अपनी असाधारण वीरता को प्रदर्शित किया था।