पुरोहित ने बताया, “तिरुपति देवस्थान में जो लोग पिछले तीन-चार वर्षों से गए हैं, वह लोग वहां का दूषित प्रसाद खाकर खुद दूषित हो गए हैं। इसी वजह से हम लोग यहां काशी क्षेत्र में और राज राजेश्वरी मंदिर में पंचगव्य का निशुल्क आयोजन कर रहे हैं। काशी धर्म की नगरी है, और यहां पर हर प्रकार के शुद्धिकरण और पूजा-पाठ कराए जाते हैं। तीर्थयात्री इसी उद्देश्य से यहां आते हैं। तिरुपति देवस्थान में भी यह सब किया जाता है। यह पूजा-पाठ और शुद्धिकरण एक दम निशुल्क है।
इस शुद्धिकरण अभियान में भाग लेने आए कमलाकांत जोशी कहते हैं कि मैं जुलाई में पिछले साल तिरुपति देवस्थान गया था। वहां का प्रसाद ग्रहण भी ग्रहण किया था। अभी टीवी पर जो प्रचार चल रहा है, उसे देखते हुए हमने पंचगव्य से अपना शुद्धिकरण कराया है। यह कार्य काशी के राजराजेश्वरी मंदिर में किया गया है। यह काम निशुल्क हो रहा है। पंचगव्य में पांच प्रकार के तत्व होते हैं: घी, शहद, दही, दूध और गोमूत्र। इन सभी को मिलाकर पंचगव्य बनाया जाता है, और इसके बाद इसे शरीर में ग्रहण करने से शुद्धिकरण होता है।
वह आगे कहते हैं कि जब यह आपको पता चला तो कितना कष्टदायक था, खासकर जब वहां के मंदिर में इस तरीके के जानने वाले लोगों को इसकी जानकारी नहीं थी। पिछली सरकार के कार्यों की जानकारी के बाद सभी के मन में ठेस पहुंची। सभी लोग प्रेमपूर्वक प्रयास कर रहे हैं कि हम कैसे शुद्धि प्राप्त करें। इसकी शुरुआत हमने काशी से की है। काशी में जो भी पुरोहित और ब्राह्मण इस प्रकार के शुद्धिकरण के लिए आते हैं, मैं उनसे अनुरोध करूंगा कि वे निशुल्क शुद्धिकरण करवाएं और सभी को हिंदू आस्था के प्रति जागरूक करें।