एक घंटे से ज्यादा चले कड़े मुकाबले में दुनिया की 43वें नंबर की खिलाड़ी मालविका ने तीन गेम के रोमांचक मुकाबले में गिलमूर को 21-17, 19-21, 21-16 से हराया।
22 वर्षीय मालविका के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि थी, क्योंकि वह अपने करियर में पहली बार किसी प्रतिष्ठित सुपर 1000 इवेंट के क्वार्टर फाइनल में पहुंची।
ओलंपिक डॉट कॉम ने मालविका के हवाले से कहा, यह मेरे जीवन की अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धि है। मैंने क्वार्टर फाइनल में पहुंचने का सपना देखा था।अब मैं यहां हूं, शीर्ष 8 में हूं। यह एक शानदार एहसास है।
एक चुनौतीपूर्ण मैच के बारे में बताते हुए मालविका ने कहा, मैच कांटे की टक्कर का था, खासकर दूसरे और अंतिम गेम में परिस्थिति कठिन थी। लेकिन मुझे खुशी है कि मैं मैच पर पकड़ बनाए रखने में कामयाब रही और मुझे जो समर्थन मिला, उसके लिए मैं आभारी हूं।
नागपुर में जन्मी इस खिलाड़ी ने अपनी सफलता का श्रेय अपने खेल में लगातार सुधार और कड़ी मेहनत को दिया। खास तौर पर अपनी ताकत और मुश्किल परिस्थितियों में हार न मानना ही उनकी सफलता का राज है।
उन्होंने बताया, मैं अपनी ताकत बढ़ाने पर ध्यान दे रही हूं और यह कारगर साबित हो रहा है। इस सर्किट में, खास तौर पर सुपर 500 और 1000 टूर्नामेंट में आपको अक्सर शुरुआत में ही शीर्ष-10 खिलाड़ियों का सामना करना पड़ता है, इसलिए शारीरिक ताकत अहम है।
मालविका का सामना दो बार की विश्व चैंपियन और चौथी वरीयता प्राप्त जापान की अकाने यामागुची से होगा।
उन्होंने कहा, मैं पहले भी उन्हें हराने के करीब पहुंच चुकी हूं। मैं अच्छी फॉर्म में हूं और मुझे उम्मीद है कि इस बार मैं जीत दर्ज करूंगी। मैं अपना सर्वश्रेष्ठ दूंगी और सर्वश्रेष्ठ की उम्मीद करूंगी।