राज्य सीपीआई (एम) सचिव के. बालाकृष्णन ने रविवार देर रात एक बयान में कहा कि केंद्र सरकार इस मुद्दे को सुलझाने के लिए कोई कूटनीतिक पहल नहीं कर रही है। तटीय तमिलनाडु के मछुआरे श्रीलंकाई नौसेना के हमले के कारण समुद्र में मछली पकड़ने से डर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि 20 सितंबर को रामेश्वरम में होने वाली विरोध प्रदर्शन में रामनाथपुरम, थूथुकुडी, तिरुनेलवेली, कन्याकुमारी, पुदुकोट्टई, तंजावुर, तिरुवरुर और नागपट्टिनम के मछली पकड़ने वाले क्षेत्रों के मछुआरे और उनके परिवार के लोग हिस्सा लेंगे।
सीपीआई-एम नेता ने हाल ही में श्रीलंकाई अधिकारियों द्वारा तमिलनाडु के कुछ मछुआरों की गिरफ्तारी और उनके सिर मुंडवाने की भी निंदा की।
उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी तमिलनाडु के मछुआरों के साथ हुए दुर्व्यवहार की निंदा करती है और इस ज्यादती के खिलाफ राज्य के तटीय क्षेत्रों में किए जा रहे आंदोलन में अपनी मौजूदगी दर्ज कराएगी।
पट्टाली मक्कल काची (पीएमके) ने हाल ही में श्रीलंकाई जेलों में शौचालय साफ करने के लिए तमिल मछुआरों का इस्तेमाल किए जाने का विरोध किया था।
रविवार रात एक बयान में पीएमके नेता एस. रामदास ने कहा कि, राज्य और केंद्र सरकारें महज मूकदर्शक बनी हुई हैं।
उन्होंने केंद्र सरकार से अनुरोध किया कि वह गिरफ्तारियों की सिर्फ निंदा करने के बजाय इस मुद्दे को श्रीलंका सरकार के समक्ष उठाएं और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुसार इसका समाधान निकालें।
पीएमके नेता ने कहा कि, श्रीलंकाई अधिकारियों ने 27 अगस्त को गिरफ्तार किए गए पांच मछुआरों के सिर मुंडवा दिए थे और उन्हें शौचालय और नालियां साफ करने के लिए मजबूर किया गया था।
वरिष्ठ नेता ने कहा कि भारतीय मछुआरों का अपमान भारत की संप्रभुता का अपमान है। केंद्र सरकार को अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुसार कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।
1 अगस्त 2024 को तमिलनाडु के एक मछुआरे की मछली पकड़ने वाली नाव के पलट जाने से मृत्यु हो गई। ये हादसा श्रीलंकाई नौसेना के तटीय गश्ती जहाज के नाव को टक्कर मारने से हुआ था। इस हादसे में एक मछुआरा लापता हो गया, जबकि मछली पकड़ने वाली नाव में सवार दो अन्य को गिरफ्तार कर लिया गया और बाद में भारतीय अधिकारियों को सौंप दिया गया।
वर्तमान में तमिलनाडु के 87 मछुआरे श्रीलंका की जेलों में बंद हैं और लगभग 35 मशीनीकृत मछली पकड़ने वाली नावें श्रीलंकाई अधिकारियों की हिरासत में हैं।