तीन रात सड़कों पर, लगातार चौथे दिन स्वास्थ्य भवन के बाहर जूनियर डॉक्टरों का विरोध प्रदर्शन जारी

कोलकाता। आरजी कर कांड में न्याय की मांग पर स्वास्थ्य भवन के बाहर धरने पर बैठे जूनियर डॉक्टरों का आंदोलन शुक्रवार को लगातार चौथे दिन जारी है। तीन रात सड़कों पर गुजरने के बाद शुक्रवार सुबह से ही एक बार फिर डॉक्टरों ने नारेबाजी शुरू कर दी है। मंगलवार और बुधवार के बाद गुरुवार को भी जूनियर डॉक्टरों और राज्य सरकार के बीच शर्तों की पेचिदगियों की वजह से बैठक नहीं हो पाई।

जूनियर डॉक्टरों के साथ प्रशासन की बैठक गुरुवार रात राज्य सचिवालय में भारी हंगामे और नाटकीय घटनाक्रम की वजह से एक बार फिर विफल रही। मुख्य सचिव मनोज पंत ने गुरुवार को आंदोलनकारियों को एक मेल भेजा, जिसमें कहा गया कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी बैठक में उपस्थित रहेंगी, लेकिन बैठक का सीधा प्रसारण नहीं किया जाएगा। इस शर्त को मानने से इनकार करने के बाद बैठक में गतिरोध पैदा हो गया।

लगभग दो घंटे के इंतजार के बाद ममता बनर्जी नवान्न से निकल गईं और आंदोलनकारी डॉक्टर स्वास्थ्य भवन लौट आए। उन्होंने साफ किया कि उनका आंदोलन जारी रहेगा। डॉक्टरों ने कहा कि वे जरूरत पड़ने पर और 33 दिनों तक सड़क पर रह सकते हैं। दूसरी ओर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि वह अपना इस्तीफा देने के लिए तैयार हैं। उन्होंने डॉक्टरों पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि डॉक्टरों को अभया के लिए न्याय नहीं बल्कि कुर्सी चाहिए जबकि वह (सीएम) न्याय चाहती हैं।

ममता बनर्जी और जूनियर डॉक्टरों के बीच बैठक की संभावनाएं समाप्त हो गईं। मंगलवार को नवान्न की ओर से मेल कर जूनियर डॉक्टरों को बैठक के लिए बुलाया गया था। आंदोलनकारियों ने मेल को अपमानजनक बताया। इसके बाद बुधवार को फिर मेल आया, लेकिन डॉक्टरों ने चार शर्तें रखीं, जिनमें मुख्यमंत्री की उपस्थिति और बैठक का सीधा प्रसारण शामिल था। मुख्य सचिव ने स्पष्ट किया कि बैठक का सीधा प्रसारण नहीं होगा, लेकिन मुख्यमंत्री मौजूद रहेंगी। इस पेचीदा स्थिति के बीच, जूनियर डॉक्टरों का 32 सदस्यीय प्रतिनिधि दल गुरुवार शाम को नवान्न की ओर रवाना हुआ। हालांकि नवान्न ने केवल 15 लोगों को बैठक में आमंत्रित किया था, फिर भी 32 डॉक्टर पहुंचे। इनमें से दो वीडियोग्राफर भी थे। सभी को नवान्न के सभागार में प्रवेश की अनुमति दी गई, लेकिन डॉक्टरों ने बैठक में प्रवेश नहीं किया। उनका सीधा प्रसारण की शर्त पर अड़े रहने के कारण बैठक नहीं हो सकी।

मुख्य सचिव मनोज पंत, गृह सचिव नंदिनी चक्रवर्ती, राज्य पुलिस के डीजी राजीव कुमार सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी डॉक्टरों से बातचीत के लिए आए, लेकिन डॉक्टर अपने रुख पर अड़े रहे। इसके बाद राज्य सरकार ने पत्रकारों को बताया कि डॉक्टरों की शर्तों को स्वीकार नहीं किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि कुछ लोग न्याय नहीं, बल्कि सत्ता की कुर्सी चाहते हैं। प्रेस कॉन्फ्रेंस में आंदोलनकारी डॉक्टरों ने कहा कि वे कुर्सी नहीं, बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं और न्याय चाहते हैं। उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि आवश्यकता पड़ने पर और 33 दिन धरने पर बैठे रहेंगे लेकिन पीछे नहीं हटेंगे।

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