मुस्लिम समुदाय की महिलाओं के हिजाब पहनने पर लगी रोक. इसके अलावा पुरुषों ने बढा़ई दाढ़ी तो देना होगा मोटा जुर्माना. जुर्माने की रकम 4 लाख तक.
क्यों लिया गया है इतना बड़ा फैसला
दरअसल ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति जो बीते तीन दशक से देश की सत्ता पर आसीन है. उनका मानना है कि कुछ धार्मिक पहचान देश के विकास को बाधित करने का काम करते हैं. यही नहीं राष्ट्रपति ने अपने देश में पश्चिमी लाइफस्टाइल को बढ़ावा देने की भी सिफारिश की है. ताकि देश को एक मॉडर्न सोच वाला बनाया जा सके और विकास की ओर बढ़ाया जा सके.
क्या है सरकार का कहना
ताजिकिस्तान सरकार की मानें तो इस रोक का मकसद सिर्फ अपनी राष्ट्रीय संस्कृतिक मूल्यों की रक्षा करना है. लेकिन इसके लिए जरूरी है कि हिजाब पहना जाए या फिर मुस्लिम दाढ़ी बढ़ाकर ही अपनी पहचान को कायम रख सकते हैं. इससे अंधविश्वास को बढ़ावा देने वाली मानसिकता खत्म होगी और उग्रवाद से लड़ने ने भी मदद मिलेगी.
देश की 96 फीसदी लोग मुस्लिम
बता दें कि ताजिकिस्तान में 96 फीसदी आबादी मुस्लिम बहुल है. हालांकि ये गणना चार वर्ष पहले यानी 2020 में की गई है. इसी आधार पर देश के ज्यादातर लोग मुस्लिम हैं. बावजूद इसके सरकार इस्लामी लाइफस्टाइल और मुस्लिम पहचान को धर्मनिपेक्षता के लिए एक बड़ा चैलेंज मानती है. तीन दशक से सत्तासीन राष्ट्रपति इमोमाली रहमान ने दाढ़ी बढा़ने पर बैन लगा दिया है.
उल्लंघन पर 4 लाख तक का जुर्माना
इन पर भी लगी रोक
ताजिकिस्तान सरकार की ओर से न सिर्फ हिजाब और दाढ़ी बढ़ाने के अलावा काले पकड़े बेचने पर भी रोक लगा दी गई है. सरकार के मुताबिक हिजाब पहनने और दाढ़ी रखने को विदेशी संस्कृति से जोड़कर देखा जाता है. बता दें कि इससे पहले ताजिकिस्तान की सरकार 35 वर्ष से कम उम्र के लोगों पर हज जाने पर भी रोक लगा जुकी है.
बता दें कि 2007 में स्कूल और 2009 में सार्वजनिक संस्थानों में हिजाब पहनने पर बैन लगाया गया था. लेकिन सरकार के ताजा निर्देश के मुताबिक अब देश में कहीं भी कोई भी महिला हिजाब नहीं पहन सकती है.