मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे का टक्कर है.

28 नवंबर को होने जा रहे मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन की तिथि काफी करीब आने के साथ ही सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस में उम्मीदवारों के नामों पर मंथन शुरू हो गया है. बीजेपी के प्रमुख नेता उम्मीदवारों के नामों पर विचार करने के लिए भोपाल में डेरा डाले हुए हैं तो कांग्रेस के प्रमुख नेता दिल्ली में हैं और दूसरी पंक्ति के नेता प्रदेश की कमान थामे हुए हैं. इसको यदि सरल शब्दों में कहा जाए तो भाजपा की ‘ए’ टीम उम्मीदवारों के चयन में शामिल हैं तो कांग्रेस की ‘बी’ टीम उम्मीदवारों के नाम पर मंत्रणा कर रही है.

‘करो या मरो’
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे का टक्कर है. इसलिए दोनों दल ‘करो या मरो’ का जोर लगाएंगे. भाजपा जहां लगातार चौथा चुनाव जीतकर इतिहास रचने के सपने देख रही है तो कांग्रेस वनवास की अवधि पूरी कर सत्ता में वापसी की कोशिश कर रही है. अब तक जारी हुए वीडियो और बयान से दोनों दलों की प्रचार शैली आक्रामक प्रतीत हो रही है.

प्रत्‍याशियों के नामों पर सस्‍पेंस
फिलहाल दोनों में से किसी भी दल ने उम्मीदवारों के नामों पर मुहर नहीं लगाई है, जिससे पता चले कि दोनों दलों के भीतर सब कुछ ठीक चल रहा है. भाजपा जहां बड़ी संख्या में उम्मीदवार बदलने की तैयारी में है, तो कांग्रेस में चल रहे शीतयुद्ध के कारण उम्मीदवारों के नाम तय नहीं हो पा रहे हैं. बीजेपी के प्रमुख नेता भोपाल और प्रदेश में डेरा जमाए हैं तो कांग्रेस के सभी प्रमुख नेताओं ने दिल्ली में धुनी रमा रखी है.

बीजेपी
भाजपा के प्रमुख नेता और चुनाव अभियान समिति के संयोजक व केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के भोपाल स्थित आवास पर सुबह से दावेदारों का जमावड़ा लगा हुआ था, सभी अपने अपने आवेदन लेकर उनके आवास पर पहुंचे थे. तोमर पहले ही ऐलान कर चुके हैं कि इस माह के अंत तक सभी उम्मीदवारों के नाम की घोषणा हो जाएगी. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के अलावा प्रदेशाध्यक्ष राकेश सिंह और महामंत्री सुहास भगत भोपाल और राज्य में सक्रिय हैं.

कांग्रेस
दूसरी ओर, कांग्रेस के प्रमुख नेता प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ, चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष ज्योतिरादित्य सिंधिया, नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह, प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव, कांतिलाल भूरिया का ज्यादा समय दिल्ली में बीत रहा है. कांग्रेस की ‘बी’ टीम प्रदेश में सक्रिय है. इनमें मीडिया विभाग की अध्यक्ष शोभा ओझा, पंकज चतुर्वेदी, जे. पी. धनोपिया, दुर्गेश शर्मा आदि प्रमुख हैं.

कांग्रेस के नेता और मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता ने कहा है कि सभी नेता अपने काम में लगे हैं, कौन कहा है इसकी उन्हें जानकारी नहीं है, मगर इस चुनाव में भाजपा को उखाड़ देंकने का संकल्प कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने लिया है.

टिकटों की दावेदारी
प्रदेश की राजनीति को गहराई से जानने वाले बताते हैं कि भाजपा हो या कांग्रेस दोनों में टिकट को लेकर मारामारी चल रही है. भाजपा के प्रदेश दफ्तर में प्रदर्शन का दौर चल रहा है. बड़े नेता अपने-अपने तरह से सक्रिय हैं, दूसरी ओर कांग्रेस में उम्मीदवारी दिल्ली से तय होना है, लिहाजा सारे नेता दिल्ली में केंद्रीय चुनाव समिति की बैठकों में व्यस्त हैं. इसके चलते पार्टी की ‘बी’ टीम ने कमान संभाल रखी है.

इस संबंध में राजनीतिक विश्लेषक शिव अनुराग पटैरिया ने कहा, “कांग्रेस राज्य में तय रणनीति के तहत आगे बढ़ रही है. नेताओं का दिल्ली में डेरा है और कांग्रेस के टिकटों पर अंतिम मुहर पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ही लगाएंगे. दूसरी ओर, भाजपा में उम्मीदवारों के नामों का फैसला संगठन और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को करना है.” पटैरिया ने कहा , “मौजूदा सरकार के प्रति आक्रोश का कांग्रेस को फायदा मिलेगा. हालांकि भाजपा की ताकत जमीनी स्तर पर उसका कैडर है. लिहाजा राज्य का चुनाव के नतीजे रोचक हो सकते हैं.”

राज्य में कांग्रेस की सियासत पर गौर करें तो इन दिनों सभी प्रमुख नेताओं के प्रतिनिधि राजधानी में पहले की तुलना में कहीं ज्यादा सक्रिय हैं, क्योंकि उनके आका दिल्ली में व्यस्त हैं. दूसरी ओर भाजपा के प्रमुख नेता राजधानी और प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में सक्रिय हैं ताकि असंतोष पर किसी तरह काबू पाया जा सके.

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