नीम करोली बाबा का जीवन हम सभी को यह सिखाता है कि सच्चा आनंद और शांति प्रेम, सेवा, और भक्ति में ही मिलती है. उनके द्वारा स्थापित आश्रम उनकी शिक्षाओं और सेवा की भावना को आज भी जीवित रखते हैं.
नीम करोली बाबा 11 सितंबर 1973 को महासमाधि में लीन हो गए थे. बता दें कि महासमाधि का मतलब है कि जब कोई साधक अपनी आत्मा को परम सत्य में विलीन कर देता है. यह दिन बाबा के भक्तों के लिए बेहद खास है, क्योंकि उनकी महासमाधि ने उन्हें आध्यात्मिक मार्गदर्शन और जीवन में एक नई दिशा दी. नीम करोली बाबा ने अपने जीवन में कई चमत्कार किए, जैसे बीमारियों से लोगों को छुटकारा दिलाना, किसी को अचानक धन प्राप्ति का आशीर्वाद देना और भगवान की भक्ति की प्रेरणा देना. ऐसे चमत्कारों की वजह से ही उन्हें ‘कलयुग के हनुमान’ कहा जाने लगा. उनके भक्त आज भी इन चमत्कारों और उनकी शिक्षाओं से प्रेरित होते हैं. बाबा का संदेश था – ‘प्यार ही भगवान है’ और ‘सेवा ही पूजा है’, जो उनके भक्तों के लिए जीवन का मंत्र बन चुका है.
नीम करोली बाबा का जीवन बहुत ही साधारण और सरल था, लेकिन उनकी शिक्षाएं बहुत गहरी थीं. उन्होंने हमेशा अपने भक्तों को यह सिखाया कि सच्ची भक्ति वही है, जो सेवा और प्रेम के साथ की जाए. उनके आश्रम में गरीबों और जरूरतमंदों को खाना खिलाया जाता था और उनकी सेवा की जाती थी. उनकी लोकप्रियता सिर्फ भारत तक ही सीमित नहीं थी; अमेरिका में भी कई लोग उनकी शिक्षाओं से प्रभावित हुए. स्टीव जॉब्स, एप्पल के संस्थापक ने भी नीम करोली बाबा के दर्शन के बाद कहा था कि उनकी सोच और जीवन का दृष्टिकोण पूरी तरह बदल गया.
समाज पर बाबा का प्रभाव
नीम करोली बाबा का प्रभाव समाज में हर जगह दिखाई देता है. उन्होंने कई आश्रम बनाए, जहां आज भी गरीबों की मदद की जाती है और शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के साथ कई सामाजिक कार्य किए जाते हैं. उनके भक्तों का मानना है कि बाबा का आशीर्वाद और उनकी उपस्थिति आज भी उनकी मुश्किलों को हल करने में मदद करती है. उनके द्वारा बनाए गए आश्रम उनकी शिक्षाओं की गवाही देते हैं और आज भी लोगों की सेवा में लगे हुए हैं.
बाबा की शिक्षाओं का महत्व
नीम करोली बाबा का जीवन हमें सिखाता है कि भक्ति का सच्चा अर्थ प्रेम और सेवा में है. उन्होंने हमें यह समझाया कि भगवान हमारे हर अच्छे और बुरे काम के साक्षी हैं और जो कुछ भी होता है वह उनकी इच्छा से होता है. उनके जीवन का संदेश यही था कि हर काम में ईश्वर की भक्ति और मानवता की सेवा होनी चाहिए.