कथा के अनुसार, एक बार की बात है, एक गरीब ब्राह्मण परिवार था. वो इतने गरीब थे कि उनके पास खाने के लिए भी कुछ नहीं था. लेकिन उस ब्राह्मण की एक आदत अच्छी थी कि वो हर हाल में भगवान विष्णु का ध्यान करता है वो उनका भक्त था. पौराणिक कथा के अनुसार जब श्रीहरि ने उसकी पूजा से प्रसन्न होकर उसे दर्शन दिए तो उन्होने भक्त से पूछा कि बताओ तुम्हे क्या चाहिए. गरीब ब्राह्मण ने कहा कि उनकी इच्छा है कि देवी लक्ष्मी उनके घर में निवास करें. अब भगवान विष्णु ने उसकी इस इच्छा को पूरा करने के लिए उसे एक मार्ग दिखाया.
ब्राह्मण से श्रीहरि ने कहा कि मंदिर के बाहर एक स्त्री आती है जो गोबर के उपले थोपती है. आप उसे अपने घर में आने का निमंत्रण देना. ब्राह्मण भी ज्ञानी था वो भगवान विष्णु के कहते ही समझ गया कि वो साक्षात देवी लक्ष्मी ही हैं. बस उन्होने कहा कि जब वो तुम्हारे घर आएंगी तो तुम्हारा घर धन-धान्य से समृद्ध हो जाएगा. ऐसा कहते हैं भगवान विष्णु ध्यानमग्न हो गए.
अगले दिन सुबह 4 बजे उठते ही वो ब्राह्मण पूजा अर्चना करके उस मंदिर के बाहर पहुंच गया. कुछ समय बाद उसने देखा कि एक महिला गोबर के उपले थोपने आ रही है. ब्राह्मण ने उस देवी से निवेदन किया कि आप मेरे घर आएं. मां लक्ष्मी समझ गयी की इसे आवश्य की भगवान विष्णु ने भेजा है. तब मां लक्ष्मी ने उस ब्राह्मण से कहा कि वो महालक्ष्मी व्रत रखे. 16 दिनों के इस व्रत करे और जब 16वां दिन आए तो चंद्रमा को अर्घ्य दे. इससे उसकी मनोकामना जरूर पूरी होगी और देवी लक्ष्मी का उसके घर में वास होगा.
ब्राह्मण ने ऐसा ही किया. उसने 16 दिनों तक व्रत तो रखा ही साथ ही हर दिन पूजा करने के बाद उत्तर दिशा की ओर मुंह करके देवी लक्ष्मी को पुकारा भी. मां लक्ष्मी ब्राह्मण की इस तपस्या को देखकर प्रसन्न हुई और उसके घर आयी. महालक्ष्मी के आशीर्वाद से उस गरीब ब्राह्मण की दरिद्रता दूर हो गयी और वो अपने परिवार के साथ खुश रहने लगा.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जो भी व्यक्ति हर साल महालक्ष्मी के व्रत करता है उसके जीवन में सुख शांति तो आती ही है साथ ही उसके घर में देवी लक्ष्मी का वास होता है और आर्थिक स्थिति भी मजबूत होती है.