काठमांडू। विगत अप्रैल में नेपाल और चीन के बीच बनी सहमति के बाद 01 मई को दोनों देशों ने बड़े जोरशोर से सीमा के सभी चेकपोस्ट खोलने की बात कही थी। तत्कालीन गृहमंत्री नारायणकाजी श्रेष्ठ ने कोरला चेकपोस्ट पहुंच कर दोनों देशों के बीच कोरोना काल में बंद हुए सभी 11 चेकपोस्ट खोलने की औपचारिक घोषणा भी कर दी थी, लेकिन आज भी कई चेकपोस्ट ऐसे हैं जहां चीन का प्रतिबंध जारी है।
चीन ने नेपाल से लगती सीमा पर स्थित सभी चेकपोस्ट खोलने की घोषणा पर कितना अमल किया है, इस बात की पड़ताल करने के लिए जब सीमावर्ती चेकपोस्ट के पास के जनप्रतिनिधियों और स्थानीय लोगों से पूछा गया तो उनके जवाब से यह पता लगा कि चीन ने दिखाने के लिए कागज पर तो चेकपोस्ट खोलने की बात लिख दी है पर हकीकत में अब तक कई ऐसे चेकपोस्ट हैं जहां चीन का प्रतिबंध अभी भी जारी है। दो दिन पहले ही चीन और नेपाल के बीच सबसे बड़े दो व्यापारिक चेकपोस्ट पर नेपाली व्यापारियों के 100 से अधिक कंटेनर को पिछले 17 दिन से रोकने की खबर आई थी।
नेपाल के तापलेजुंग जिले से सटे चीन की सीमा ओलांगचोंगगोला चेकपोस्ट कहने के लिए तो 01 मई से खुला है पर स्थानीय जनता का कहना है कि इस चेकपोस्ट से यहां के लोगों को तो दूर मवेशी को भी चरने नहीं जाने दिया जाता है। यहां के स्थानीय किसान छान शेर्पा ने कहा कि सरकार की तरफ से चीन के द्वारा सभी चेकपोस्ट खुलने की बात कही गई लेकिन तीन महीने बाद भी हमें तो उस पार नहीं जाने दिया जाता है। अभी मवेशी को चरने के लिए भी ले जाने पर प्रतिबंध है।
ओलांगचुंगगोला और फतलुंग लेलेप की तरह यांगमा और घूंसा सीमा चेकपोस्ट पर रहने वाले स्थानीय लोगों को भी सीमा पर परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। नेपाल और चीन के बीच सीमा चेकपोस्ट खोलने को लेकर बनी सहमति में यह भी उल्लेख था कि सीमा से सटे नेपाली नागरिकों को सामान्य खरीदारी और व्यापार के लिए चीन की तरफ के इलाके में दिनभर जाने की इजाजत दी जाएगी। सीमावर्ती लोगों के पास अस्थाई प्रवेश पास तो बन गया है पर अब तक वो इसका उपयोग नहीं कर पा रहे हैं।