क्या सच में भगवान गणेश की उत्पत्ति मैल से हुई है? आइए गणेश चतुर्थी के मौके पर महाभागवत उपपुराण और अन्य शास्त्रों में वर्णित भगवान गणेश की उत्पत्ति की कथा के बारे में जानते हैं.
भगवान गणेश की उत्पत्ति को लेकर कई तरह की पौराणिक कथाएं हैं, जिनमें से एक लोकप्रिय कथा यह है कि उनका जन्म माता पार्वती के मैल से हुआ था. लेकिन जब हम शास्त्रों को ध्यान से पढ़ते हैं, तो हमें इस कहानी का एक और गहरा पक्ष दिखाई देता है जो कि अधिक विस्तृत और अर्थपूर्ण है. ऐसे में गणेश चतुर्थी के मौके पर आज हम आपको इस लेख में महाभागवत उपपुराण और अन्य शास्त्रों में वर्णित भगवान गणेश की उत्पत्ति की कथा के बारे में बताएंगे.
महाभागवत उपपुराण के अध्याय 35 में यह बताया गया है कि एक समय माता पार्वती ने अपने शरीर पर हल्दी का उबटन लगाया और स्नान के लिए जाने लगीं. तभी, उन्होंने अपने निवास स्थान की रक्षा के लिए सोचा. इस विचार के दौरान, उन्हें भगवान विष्णु की प्रार्थना का स्मरण हुआ. उन्होंने अपने शरीर पर लगे हल्दी उबटन से एक पुत्र का निर्माण किया जो गणेश के रूप में जाना गया.
भगवान विष्णु की पूर्व-प्रार्थना
इस कथा के पीछे एक और कहानी छुपी हुई है. महाभागवत उपपुराण के अध्याय 34 में बताया गया है कि भगवान विष्णु ने देवी पार्वती से एक वरदान मांगा था कि वह भी उनके पुत्र के रूप में जन्म लेना चाहते हैं ताकि वह उनकी गोद में खेल सकें. भगवान विष्णु की इस अभिलाषा को जानकर देवी पार्वती ने उन्हें वरदान दिया कि वह उनके पुत्र के रूप में प्रकट होंगे.
गणेश जी का स्वरूप और उद्देश्य
भगवान विष्णु ही गणपति के रूप में प्रकट हुए और देवी पार्वती ने भगवान धन्वंतरी (आयुर्वेद के प्रणेता) का स्मरण किया. यह दर्शाता है कि माता पार्वती ने हल्दी का उबटन लगाकर आयुर्वेद को प्रोत्साहन देने की एक लीला रची. आयुर्वेद में हल्दी का विशेष महत्व होता है और इसे औषधीय गुणों से भरपूर माना जाता है.
स्वामी अंजनी नंदन दास के अनुसार, माता पार्वती ने हल्दी उबटन लगाकर भगवान विष्णु का ध्यान किया ताकि वह उन्हें पुत्र के रूप में स्वीकार करें. हल्दी का प्रयोग आयुर्वेद चिकित्सा को प्रोत्साहन देने के लिए किया गया था, न कि गणेश की उत्पत्ति को किसी मैल से जोड़ने के लिए. इस प्रकार, भगवान गणेश को माता पार्वती के मैल से उत्पन्न मानने की बजाय, यह समझा जा सकता है कि उनका जन्म एक विशेष कारण और उद्देश्य के तहत हुआ था.