भगवान शिव के भक्तों के मन में ये कामना जरूर होती है कि जीवन में एक बार उन्हें कैलाश मानसरोवर जाने का सौभाग्य मिले. लेकिन क्या आप जानते हैं कि पंच कैलाश हैं.
: कैलाश पर्वत केवल एक नहीं, बल्कि पांच प्रमुख पर्वत श्रृंखलाओं का समूह है, जिन्हें ‘पंच कैलाश’ कहा जाता है. ये पांच कैलाश पर्वत अलग-अलग स्थानों पर स्थित हैं और प्रत्येक का अपना धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है. हिंदू धर्म में कैलाश पर्वत को भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है. मान्यता है कि भगवान शिव और माता पार्वती यहां निवास करते हैं. बौद्ध धर्म में कैलाश पर्वत को मेरु पर्वत माना जाता है जो ब्रह्मांड का केंद्र है. जैन धर्म में कैलाश पर्वत को ऋषभदेव की तपोभूमि माना जाता है. बोन धर्म में कैलाश पर्वत को देवताओं का निवास स्थान माना जाता है.
कैलाश मानसरोवर की यात्रा को हिंदू धर्म में मोक्ष प्राप्ति का मार्ग माना गया है. पंच कैलाश में ये सबसे प्रसिद्ध कैलाश पर्वत है. तिब्बत में स्थित कैलाश पर्वत को इसे ‘महाकैलाश’ भी कहा जाता है. यहां की प्रसिद्ध मानसरोवर झील के कारण इसे कैलाश मानसरोवर भी कहते हैं. शिव भक्तों और साधकों के लिए कैलाश मानसरोवर की यात्रा करना मानों साक्षात प्रभु के दर्शन करने जैसा है.
2. आदि कैलाश (उत्तराखंड, भारत)
आदि कैलाश को ‘छोटा कैलाश’ भी कहा जाता है. ये उत्तराखंड राज्य के कुमाऊं क्षेत्र में स्थित है. कुछ लोग इसे महाकालेश्वर के रूप में भी जानते हैं. जो भक्त किसी भी कारण कैलाश मानसरोवर की यात्रा नहीं कर पाते ऐसा कहा जाता है कि वो छोटा कैलाश की यात्रा से भी उसी पुण्यफल को प्राप्त कर सकते हैं. इसका महत्व भी महाकैलाश के बराबर ही माना जाता है.
3. किन्नर कैलाश (हिमाचल प्रदेश, भारत)
किन्नर कैलाश हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में स्थित है. जिसकी यात्रा अत्यंत कठिन मानी जाती है और यह शिव भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है. किन्नर कैलाश पर एक विशाल शिला भगवान शिव के त्रिशूल के रूप में स्थित है.
4. मणिमहेश कैलाश (हिमाचल प्रदेश, भारत)
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव ने पार्वती से विवाह करने के बाद मणिमहेश का निर्माण किया था. अगर आप अब तक यहां नहीं गए तो आपको बता दें कि यहां ब्रह्ममुहूर्त में एक मणि चमकती है. ऐसा कहा जाता है कि इसकी रोशनी इतनी तेज होती है कि लोग सूर्योदय समझते हैं लेकिन वास्तव में सूर्योदय काफी देर बाद होता है. मणिमहेश झील के पास भगवान शिव की एक संगमरमर की मूर्ति है जिसके दर्शन करने के लिए दूर-दूर से तीर्थयात्री आते हैं.
श्रीखंड महादेव कैलाश की पौराणिक कथा के अनुसार इसी जगह पर भगवान विष्णु ने भस्मासुर नामक दैत्य का वध किया था. कहा जाता है कि भस्मासुर को भगवान शिव वरदान था कि उसे उसके अलावा और कोई नहीं मार सकता. इसी जगह पर विष्णु जी ने भसमासुर को नृत्य करने के लिए राजी किया और जब नृत्य करते-करते उसका हाथ उसके सिर पर लगा तो वो मर गया. जब आप यहां जाएंगे तो ये देख पाएंगे कि यहां कि मिट्टी से लेकर पानी सब लाल नज़र आते हैं.