जिस समय आपका जन्म होता है उस समय के नक्षत्र को देखकर ये तय किया जाता है कि आप किस नक्षत्र में पैदा हुए हैं. इसका प्रभाव न सिर्फ आपके भविष्य पर पड़ता है बल्कि आपके स्वभाव में भी गण समझ आता है.
जिन जातकों का जन्म अश्विनी, मृगशिरा, पुनर्वसु, हस्त, स्वाति, अनुराधा, श्रवण, या रेवती नक्षत्र में होता है, वे देवगण के अंतर्गत आते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, देवगण के लोग बुद्धिमान और साधारण भोजन करने वाले होते हैं. इनका हृदय कोमल होता है और वे अत्यंत भावुक होते हैं. विचार उच्च होते हैं और ये सदैव दूसरों का भला सोचते हैं. देवगण के लोग दान-पुण्य में विश्वास रखते हैं और धार्मिक कार्यों में रुचि लेते हैं. वे ईश्वर और पूजा-पाठ में अत्यधिक आस्था रखते हैं और दूसरों के प्रति करुणा और दया का भाव रखते हैं. इनके लिए अपनों से ज्यादा दूसरों का हित सर्वोपरि होता है.
2. मनुष्यगण
जिन जातकों का जन्म भरणी, रोहिणी, आर्द्रा, पूर्वाफाल्गुनी, उत्तराफाल्गुनी, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, पूर्वाभाद्रपद, या उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में होता है वे मनुष्यगण के अंतर्गत आते हैं. मनुष्यगण के लोग धनवान होते हैं और समाज में प्रतिष्ठित होते हैं. इनके विचार स्थिर होते हैं और ये अपने जीवन में स्थिरता पसंद करते हैं. ये भविष्य की अधिक चिंता नहीं करते और कर्म में विश्वास रखते हैं. ये अपनी जिम्मेदारियों को पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ निभाते हैं. मनुष्यगण के लोग संयमित होते हैं और संतुलित जीवन जीना पसंद करते हैं.
3. राक्षसगण
जिन जातकों का जन्म मघा, चित्रा, धनिष्ठा, शतभिषा, या ज्येष्ठा नक्षत्र में होता है वे राक्षसगण के अंतर्गत आते हैं. राक्षसगण के लोग नकारात्मक ऊर्जा को शीघ्रता से महसूस कर लेते हैं. इनमें छठी इंद्री विशेष रूप से सक्रिय होती है जिससे ये परिस्थितियों का गहराई से आकलन कर सकते हैं. इनकी इच्छाशक्ति मजबूत होती है और ये साहसी होते हैं. ये लोग स्वभाव से स्वतंत्र होते हैं और अपने कार्यों में किसी का हस्तक्षेप पसंद नहीं करते. राक्षसगण के लोग अपने विचारों में कट्टर होते हैं और गुस्से की प्रवृत्ति अधिक होती है. इनके स्वभाव में कठोरता होती है और ये अपने लक्ष्यों को पाने के लिए दृढ़ संकल्पित होते हैं.