लखनऊ। लोकसभा चुनाव 2019 के चुनाव प्रचार की रणनीति पर संघ व भाजपा संगठन के बीच मंथन 53 महीनों में मोदी नीति भाजपा सरकार द्वारा पैदा किए गए राजनीतिक व सामाजिक कचरे के निपटान का मंथन है। जनाक्रोश की अभिव्यक्ति से भयभीत यह भाजपाई मंथन उत्तर प्रदेश को निश्चित ही साम्प्रदायिक महाभारत में ढकेलने के परिणाम तक पहुंचेगा। महाभारतीय चक्रव्यूह में सिद्धहस्त यह संघ और संगठन जातियों व उपजातियों को एक दूसरे के समक्ष दुश्मनों की भांति खड़ा करेगा और इसमें बहे रक्त पर अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने का काम करेगा।
उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी की प्रवक्ता डॉ0 मंजु दीक्षित ने कहा कि केन्द्र एवं उत्तर प्रदेश में यदि भाजपा के घोषणापत्र को देखा जाए और सरकार पर विमर्श करने के बाद जब जमीनी हकीकत देखी जाये तो बहुत बड़ा सवाल खड़ा होता है कि सरकार यथार्थ में कहां तक पहंुुची? कौन से वादे पूरे हुए, सुरक्षा व्यवस्था कितनी मुस्तैद हुई? वंचित तबके के हक कितनों को मिले?ऐसे ही तमाम सवाल हैं जो जवाब का मुंह ताक रहे, ‘जवाब’ वो जो सच हो, ‘जुमला’ नहीं। भाजपा में पुनः महामंथन होने जा रहा है यानी फिर जनता के थके -पांव, दबे-कुचले हारे चेहरे ‘सरकार’ का मुंह उम्मीद से ताकने लगे कि क्या इस ‘महामंथन’ में उसे रोजी-रोटी, सुरक्षा, शिक्षा, सेहत मिलेगी।
डॉ0 दीक्षित ने कहा कि भाजपा को अपने कार्यालय व अपने कार्यकर्ताओं के बीच महामंथन करने के बजाय जनता के पास जाना चाहिए व उनके कुम्हलाये चेहरे देखकर यह ‘मंथन’ कर लेना चाहिए कि क्या हमने अपने घोषणापत्र में किये वादे पूरे किये? क्या उन जनभावनाओं केा हमने महसूस करके पूरा किया जो हमने सरकार में आने से पहले भारती की दबी कुचली जनता के बहुप्रतीक्षित संवेदनाओं से किया था? हम जनता की भावनाओं से खेलें या उनका मखौल बनाया, मंथन इस बात का सरकार को करना चाहिए न कि जुमले का फिर नया इतिहास रचने के लिए बैठेंगे।