हिंदुओं को लेकर भारत के पड़ोसी मुल्कों में लगातार हमलों की खबरें सामने आ रही हैं. बांग्लादेश में अभी हालात सुधरे ही नहीं थे कि इस बीच पाकिस्तान से भी एक बड़ा बयान सामने आया है.
पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने पाकिस्तानी अल्पसंख्यक खास तौर पर हिंदुओं के लिए एक ऐसा बयान दिया है जिसको लेकर भारत राहत की सांस ले सकता है.
हिंदुओं को लेकर क्या बोले आसिफ अली जरदारी
पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ही नहीं पाकिस्तान के सैन्य नेतृत्व ने भी हिंदुओं को लेकर बड़ा ऐलान कर दिया है. उन्होंने 14 अगस्त यानी पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस से पहले कहा है कि वह अल्पसंख्यकों की रक्षा करने का संकल्प लेते हैं.
यही नहीं राष्ट्रपति जरदारी ने यह भी कहा है कि इस पर भी ध्यान दिया जाएगा की हिंदुओं के अधिकारों को कोई नुकसान ना पहुंचाया जाए. बता दें कि पाकिस्तान में कुल आबादी का एक फीसदी हिंदू जनसंख्या है. जबकि आजादी के वक्त यह 11 फीसदी के आस-पास हुआ करती थी. पाकिस्तान में लगातार हिंदुओं की संख्या में गिरावट देखने को मिली है. लेकिन बांग्लादेश में हो रहे हिंदुओं पर हमले के बीच पाकिस्तान का यह बयान काफी मायने रखता है.
क्या है पाकिस्तान का कहना
पाकिस्तान में रह रहे अल्पसंख्यकों को लेकर राष्ट्रपति का यह भी कहना है कि वह समाज के सभी वर्गों से अंतरधार्मिक सदभाव, प्रेम, सहिष्णुता, भाईचारा के साथ-साथ देश की एकता की भावना को बढ़ावा देने के लिए प्रयास कर रहे हैं. ऐसे में यहां पर किसी भी तरह से अल्पसंख्यकों को अधिकारों को कोई क्षति नहीं पहुंचाई जाएगी.
दरअसल भारत के साथ-साथ लगातार अंतरराष्ट्रीय दबाव की वजह से अब कुछ देश चाह कर भी अल्पसंख्यकों पर अत्याचार या फिर उनकी उपेक्षा नहीं कर पा रहे हैं. खास तौर पर हिंदुओं को लेकर भारत लगातार अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी आवाज बुलंद करता रहा है. ऐसे में पाकिस्तान का यह बयान भी इसी कड़ी का ही हिस्सा माना जा रहा है कि वहां रह रहे हिंदुओं को लेकर अगर कोई गड़बड़ी होती है तो भारत कभी भी कोई ठोस कदम उठा सकता है.
संविधान का हर कीमत पर होगा पालन
11 अगस्त 1947 को भी पाकिस्तान ने अल्पसंख्यकों के अधिकारों और रक्षा का वादा किया था, लेकिन इतिहास के पन्ने पलट कर देखें तो पाकिस्तान में इसका ठीक उलटा ही हुआ है.
1947 से लेकर 2024 तक के आंकड़ें देखें तो पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों की संख्या में हमेशा गिरावट दर्ज की गई है.
इस मुद्दे को लेकर मानवाधिकार संगठन ने भी कई बार पाकिस्तान को फटकार लगाई है, लेकिन फिर भी इस देश पर कोई असर नहीं होता. इन सब के बावजूद पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.