किस तरह का था अब तक का कानून
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पर्सनल स्टेटस लॉ 1959 के 188 नियम में बदलाव को लेकर बात हो रही है. पुराने नियम अब्दुल करीम कासिम सरकार की ओर से तैयार किया गया था. कासिम की पहचान प्रोग्रेसिव लेफ्टिस्ट की रूप में होती थी. उनके वक्त में कई बड़े बदलाव देखे गए. इसमें एक था कि 18 साल की उम्र होने पर लड़कियों की शादी. पचास के दशक के अंत में पूरे मिडिल ईस्ट में इसे बढ़िया कानूनों में रखा गया. इन बदलाव में निश्चित उम्र में शादी के साथ, पुरुष मनमर्जी से दूसरी शादी नहीं कर सकते हैं. इन नियमों के तहत मुस्लिम पुरुष और गैर-मुस्लिम महिला अगर शादी करना चाहें तो इस पर किसी तरह की शर्त या प्री-कंडीशन नहीं होगी.
पार्टियों ने मिलकर एक खाका तैयार किया
अब शिया इस्लामिस्ट पार्टियों ने मिलकर एक खाका तैयार किया है. इसके तहत कई बदलाव हो रहे हैं. इस समय इराक में मोहम्मद शिया अल-सुदानी की सरकार मौजूद है. वे खुद एक शिया हैं और जिन्हें शिया पार्टियों का समर्थन मिल रहा है. देश शिया-बहुल है. ऐसे में इनकी पार्टी में बड़ी भूमिका रहती है.
15 साल के लड़कों की शादी कानून जायज बताई
बिल में कहा गया है कि पति-पत्नी को व्यक्तिगत मामलों के निपटारे को लेकर सुन्नी या शिया में से एक धर्म चुनना होगा. शादी के कॉन्ट्रैक्ट को लेकर किस धर्म पालन करना है, इस पर अगर कोई विवाद हो तो समझौते को पति धर्म के अनुसार ही तय किया जाएगा. इसमें कहा गया है कि शिया कानून जाफरी कानून पर तय है. ये शादी, तलाक, बच्चे गोद लेना और विरासत जैसे मामले को देखता है. इसके तहत 9 साल की लड़की और 15 साल के लड़कों की शादी कानून जायज बताई गई है. इस कानून के पुराने संस्करण भी हो सकते हैं जिसमें मुस्लिम पुरुषों को गैर-मुस्लिम महिलाओं से शादी की रोक है. शादी में रेप को जायज माना गया था. यहां तक पति की इजाजत के बगैर पत्नी घर से बाहर नहीं निकल सकेंगी.